जम्मू-कश्मीर में 44.13 करोड़ रुपये का बजट उपलब्ध होने के बावजूद पिछले 10 वर्ष में मॉडल स्कूल नहीं खोले जाने को गंभीरता से लेते हुए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने राज्य सरकार को यह निधि लौटाने और इसकी जिम्मेदारी तय करने के लिए कहा है. हाल में सामाजिक, सामान्य, आर्थिक एवं राजस्व पर संसद में पेश 31, मार्च 2019 तक की जम्मू कश्मीर की रिपोर्ट में कैग ने कहा कि शिक्षा विभाग के केंद्र से मिली निधि का समय पर उपयोग करने में विफल रहने से लाभार्थी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलने से वंचित रह गए.
कैग ने कहा, ‘‘यह मामला मई 2020 को विभाग/सरकार के पास भेजा गया, उनके जवाब का इंतजार है. राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह निधि ब्याज समेत वापस की जाए और मॉडल स्कूल स्थापित नहीं किए जाने के लिए जिम्मेदारी तय की जाए.' उसने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आने वाले स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने शैक्षणिक रूप से पिछड़े प्रत्येक ब्लॉक में कम ये कम एक मॉडल स्कूल खोलने के उद्देश्य से नवंबर 2008 में योजना शुरू की थी.
कैग ने कहा, ‘‘2009-10 से यह योजना लागू की जानी थी. चूंकि जम्मू कश्मीर राज्य विशेष श्रेणी वाला राज्य था, तो केंद्र सरकार तथा जम्मू कश्मीर सरकार ने इस योजना के क्रियान्वयन के लिए क्रमश: 90 और 10 प्रतिशत की निधि दी.' उसने कहा कि 10 साल बाद भी सरकार ने जम्मू कश्मीर में इस योजना को लागू करने के लिए कोई पर्याप्त पहल नहीं की.
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