पांच प्वाइंट में समझिए कांग्रेस के लिए क्यों जरूरी हैं शशि थरूर, हटाने से क्या हो सकता है नुकसान

कांग्रेस में रहते हुए शशि थरूर वह सब कर रहे हैं, जो उनकी पार्टी नहीं करना चाहती है. लेकिन कांग्रेस पार्टी उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं कर पा रही है. आइए जानते हैं उन कारणों के बारे में जिनकी वजह से कांग्रेस उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है.

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नई दिल्ली:

इन दिनों चर्चा में चल रहे शशि थरूर केरल के तिरुवंतपुरम से चार बार के कांग्रेस के सांसद हैं. आप उन्हें एक ऐसा कूटनीतिज्ञ कह सकते हैं, जो अपने राजनीतिक कौशल का प्रदर्शन करना जानता है. आप उन्हें एक ऐसा नेता भी कह सकते हैं जो अपनी पार्टी के रुख से अलग भी स्टैंड ले सकता है. कांग्रेस के लिए शशी थरूर अब असहज सच्चाई बन गए हैं. थरूर ने वह सब कुछ किया है जिसकी पार्टी में इजाजत नहीं है. उन्होंने केरल की एलडीएफ सरकार की प्रशंसा की है, अध्यक्ष पद के चुनाव में हाईकमान की ओर से चुने गए मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ मैदान में चुनौती दी और अब ऑपरेशन सिंदूर, प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी की सफलता का प्रचार कर रहे हैं.

 कांग्रेस के लिए क्यों जरूरी हैं शशी थरूर 

कांग्रेस के कुछ नेता सोशल मीडिया पर खुलेआम उन पर निशाना साध रहे हैं, इसके बाद भी थरूर केरल और राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के लिए जरूरी बने हुए हैं. उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का सवाल ही नहीं उठता है, खासकर तब जब केरल में अगले साल चुनाव होने हैं. आइए जानते हैं कि ऐसा न होने के पांच कारण क्या हैं. 

  1. शशि थरूर केरल में कांग्रेस का सबसे महत्वाकांक्षी चेहरा हैं. केरल के स्थानीय नेतृत्व और गांधी परिवार के वफादारों को भले ही यह पसंद हो या न हो, थरूर राज्य के मीडिल क्लास में एक शक्तिशाली चेहरा हैं. उन्हें सभी समुदायों और जातियों का मजबूत समर्थन हासिल है. महिला वोटरों में भी उनके समर्थकों की संख्या अधिक है. यही वजह है कि बीजेपी उन पर डोरे डाल रही है, ऐसे में उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई उनके पार्टी छोड़ने का कारण बन सकती है.इसका पार्टी को नुकसान होगा. 
  2. थरूर नायर जाति से आते हैं, यह एक ऐसा जातिगत वोट बैंक है जिस पर बीजेपी का कब्जा है, इस वोट बैंक पर किसी तरह की चोट कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा नुकसान होगा. अल्पसंख्यक समुदाय में अपनी पकड़ को प्रभावित किए बिना थरूर ने  सबरीमाला मंदिर प्रवेश विवाद जैसे मुद्दे पर अपनी हिंदू अपील को बहुत चतुराई से संतुलित किया है. उनके संबंध वामपंथियों से भी अच्छे हैं. तिरुवनंतपुरम में उन्हें बार-बार मिल रही जीत, उनके चुनाव प्रबंधन की उनकी क्षमता का प्रमाण है.
  3. शशि थरूर केरल में कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के लिए प्रभावशाली चेहरा हो सकते हैं. ऐसे में यह मुकाबला पिनाराई विजयन बनाम शशी थरूर का हो जाएगा. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के दो कार्यकाल की सत्ता विरोधी लहर को देखते हुए थरूर को इस लड़ाई में निर्णायक बढ़त मिल सकती है.बीजेपी राजीव चंद्रशेखर को 2026 में चेहरा बनाने की दिशा में काम कर रही है. थरूर केरल से राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का सबसे करिश्माई चेहरा हो सकते हैं. यहां यह तर्क भी दिया जा सकता है कि केरल में कांग्रेस के कई मजबूत नेता हैं, लेकिन थरूर ही वह व्यक्ति हैं जो पार्टी के लिए चुनाव में एक्स फैक्टर बन सकते हैं. 
  4. कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर पर थरूर के लिए परेशानी मुख्य रूप से केरल के पुराने नेताओं से है. गांधी परिवार के वफादार केसी वेणुगोपाल हमेशा से उनके प्रतिद्वंद्वी रहे हैं. थरूर के उदय से केरल में पार्टी के पुराने नेता खुद को खतरे में महसूस कर रहे हैं. लेकिन थरूर को हटाने से बीजेपी को बैठे-बिठाए एक मुद्दा मिल जाएगा कि कि कांग्रेस में योग्यता का सम्मान नहीं है.
  5. यह सच्चाई है कि कांग्रेस में कई जमीनी नेता हैं जो थरूर को पचा नहीं पाते हैं, हो सकता है कि वे उस पॉवरफुल लॉबी में सबसे लोकप्रिय न हों. लेकिन घरेलू राजनीति को छोड़ दें, तो राष्ट्रीय स्तर पर इस समय थरूर ने कुछ भी गलत नहीं किया है. उन्होंने भारत का संदेश दुनिया तक पहुंचाया है. लोगों में उनका सम्मान है. बीजेपी एक तरह से 'थरूर ढाल' का उपयोग कर रही है क्योंकि यह एक मजबूत ढाल है. कांग्रेस की ओर से उनके खिलाफ की गई कोई भी कार्रवाई थरूर मिसाइल बन जाएगी,जिसके लिए उसके पास कोई ढाल नहीं है.

उन पर किए जा रहे व्यक्तिगत कटाक्षों को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, लेकिन उनके लिए पार्टी के समर्थन का संदेश भेजने का प्रयास कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, खासकर तब जब पार्टी केरल में एक महत्वपूर्ण चुनाव लड़ने जा रही है. अब समय आ गया है कि कांग्रेस थरूर को गले लगा ले.

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