भारत में पहली डिजिटल समुद्री मत्स्य पालन जनगणना शुरू, 12 लाख मछुआरे परिवार होंगे शामिल

केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन ने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (PM-MKSSY) के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है.

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  • भारत सरकार ने पहली बार डिजिटल राष्ट्रीय समुद्री मत्स्य पालन जनगणना 2025 की शुरुआत कोच्चि में की है
  • जनगणना 9 तटीय राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों के 12 लाख से अधिक मछुआरे परिवारों को शामिल करेगी
  • मछुआरों के लिए National Fisheries Digital Platform पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा
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भारत सरकार ने पहली दफा डिजिटल राष्ट्रीय समुद्री मत्स्य पालन जनगणना (National Marine Fisheries Census) 2025 की शुरुआत कर दी है. शुक्रवार के दिन केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने कोच्चि में इस जनगणना के मछुआरों के परिवार गणना चरण (Household Enumeration Phase) का औपचारिक शुभारंभ किया. यह जनगणना 3 नवंबर से 18 दिसंबर 2025 तक चलेगी. 45 दिनों तक चलने वाली इस प्रक्रिया में हजारों प्रशिक्षित क्षेत्रीय कर्मचारी भाग लेंगे.

मछुआरों को जरूर कराना होगा ये काम

इसमें 9 तटीय राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 4,000 समुद्री मछली पकड़ने वाले गांवों के 12 लाख से अधिक मछुआरे परिवारों को शामिल किया जाएगा. सरकार ने साफ किया है कि सभी मछुआरे और मत्स्य श्रमिकों को National Fisheries Digital Platform पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन ने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (PM-MKSSY) के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है. केवल वे मछुआरे और मत्स्य पालक ही केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता के पात्र होंगे जो पोर्टल पर पंजीकृत हैं.

ऐप्स के जरिए रियल-टाइम डेटा कलेक्शन

पंजीकरण सामान्य सेवा केंद्रों (Common Service Centres) के माध्यम से आसानी से किया जा सकता है. उन्होंने इसे भारतीय मत्स्य पालन के इतिहास में पहली बार पूर्णतः डिजिटलीकृत डेटा संग्रह के रूप में एक बड़ा तकनीकी बदलाव बताया. मत्स्यपालन मंत्रालय ने बताया कि डेटा संग्रह के लिए दो विशेष मोबाइल एप्लिकेशन व्यास भारत (VyAS Bharat) और व्यास सूत्र (VyAS Sutra) का उपयोग किया जाएगा. इन ऐप्स के जरिए रियल-टाइम डेटा कलेक्शन और गणना प्रक्रिया की निगरानी संभव होगी.

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