पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के हमले के दौरान शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू के पिता ने कहा कि वह जून 2020 में बहादुरी का प्रदर्शन करने के लिए उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र प्रदान करने से 100 फीसदी संतुष्ट नहीं हैं. उन्हें परम वीर चक्र से नवाज़ा जाना चाहिए था. बाबू के पिता बी उपेंद्र ने कहा, "ऐसा नहीं है कि मैं दुखी हूं. लेकिन मैं (महावीर चक्र पुरस्कार से) 100 प्रतिशत संतुष्ट नहीं हूं. उन्हें बेहतर तरीके से सम्मानित करने की गुंजाइश है."
उन्होंने कहा, " लेकिन मेरी राय है कि संतोष बाबू को अपने कर्तव्यों का निर्वहन के दौरान दिखाई गई वीरता के लिए सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार परमवीर चक्र के लिए नामित किया जाना चाहिए था." उन्होंने कहा कि उनके बेटे की वीरता ने कई लोगों को प्रेरित किया है जिनमें रक्षा बलों में काम करने वाले कर्मी भी शामिल हैं.
कर्नल बाबू 16 बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग अधिकारी थे और उन 20 भारतीय सैनिकों में शामिल थे जिन्होंने पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में चीन के साथ झड़प में अपने प्राण न्यौछावर किए थे. उपेंद्र ने कहा, "मेरा बेटा और उसके लोग निहत्थे लड़े थे. उन्होंने दुश्मन के अधिक सैनिकों को मारकर साबित किया कि भारत चीन से बेहतर और मजबूत है."
उनके मुताबिक, कर्नल बाबू के परिवार को विभागीय लाभों के अलावा कुछ नहीं मिला जो शहीद सैनिक के परिवार को केंद्र से आमतौर पर मिलता है. तेलंगाना सरकार ने संतोष बाबू के परिवार को पांच करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि के अलावा उनकी पत्नी को समूह-एक का पद और आवासीय प्लाट दिया है.