तीन कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसकी सीमा पर किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी है. कानून के खिलाफ नाराजगी जताते हुए किसान आज भी सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं. किसान बुराड़ी के निरंकारी मैदान में शिफ्ट होने के लिए राजी नहीं हुए हैं. रविवार दोपहर हुई किसान संगठनों की बैठक में किसान नेताओं ने सरकार के सशर्त वार्ता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. साथ ही सरकार से सवाल पूछा है कि किसने आपसे इन तीन कानूनों को लाने की मांग की थी. किसान आंदोलन के बीच, रविवार रात को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के घर अहम बैठक हुई. इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद रहे. करीब 2 घंटे तक चली इस बैठक में किसान आंदोलन को लेकर चर्चा हुई और सारे हालात की समीक्षा की गई. सूत्रों ने यह जानकारी दी.
Here are the updates of Farmer's protest march in Delhi:
दिल्ली की सिंघु बॉर्डर पर हुए बवाल पर दिल्ली पुलिस ने दंगा करने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है. केस अलीपुर थाने में दर्ज किया गया है. अलीपुर थाने में यह मामला धारा 186, 353, 332, 323, 147, 148, 149, 279, 337, 188, 269, और 3 PDPP एक्ट के तहत दर्ज किया गया है.
न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी से सटे सोनीपत के सिंघु सीमा पर मांगों के समर्थन में धरने पर बैठे हजारों किसानों के संगठनों ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह किसी भी वार्ता के लिए दिल्ली नहीं जाएंगे बल्कि केंद्र सरकार का प्रतिनिधि यहीं आकर उनसे बातचीत करे. केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में कुंडली बॉर्डर पर चल रहा विभिन्न किसान संगठनों का धरना सोमवार को पांचवे दिन में प्रवेश कर गया.
न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार, कांग्रेस ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए सोमवार को सोशल मीडिया पर अभियान चलाया, जिसके तहत पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा और लोगों से किसानों का साथ देने की अपील की.
न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार, किसानों द्वारा नए कृषि कानूनों का विरोध जारी रहने के बीच भाजपा ने उनसे आग्रह किया कि वे इन सुधारों को लेकर "गलतफहमी" में नहीं रहें. इसके साथ ही पार्टी ने जोर दिया कि इन सुधारों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और मंडी व्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं है तथा सरकार द्वारा अनाज की खरीद के साथ पुरानी व्यवस्था भी कायम रहेगी.
न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार, केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने सोमवार को कहा कि वे ''निर्णायक'' लड़ाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी आए हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा.
दिल्ली और उसके आसपास हजारों की संख्या में किसान कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच, केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कृषि कानून पर गलतफहमी ना रखें. पंजाब के किसानों ने पिछले साल से ज्यादा धान मंडी में बेचा और ज़्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बेचा है. MSP भी जीवित है और मंडी भी जीवित है और सरकारी खरीद भी हो रही है.
किसान आंदोलन के बीच केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानून APMC मंडियों को समाप्त नहीं करते हैं।. मंडियां पहले की तरह ही चलती रहेंगी. नए कानून ने किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आज़ादी दी है. जो भी किसानों को सबसे अच्छा दाम देगा वो फसल खरीद पायेगा चाहे वो मंडी में हो या मंडी के बाहर.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बार्डर पर किसानों का प्रदर्शन सोमवार को भी जारी रहा. किसान बुराड़ी में शिफ्ट होने के लिए तैयार नहीं हैं.