बेंगलुरु के राजाजीनगर स्टेशन पर एक अधिकारी ने दो दिन पहले एक किसान को इसलिए मेट्रो ट्रेन में चढ़ने से रोक दिया क्योंकि उसके कपड़े 'गंदे' थे. इस मामले पर अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) ने एक बयान में कहा, "जो जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स से मिली है, अगर वो सच है तो यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है. किसी भी व्यक्ति को उसके पहने हुए कपड़ों की वजह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल करने से नहीं रोका जा सकता. यदि किसी के पास कोई आपत्तिजनक सामग्री है, तो उसे केवल कानून के प्रावधानों के मुताबिक ही रोका जा सकता है."
NHRC ने इस घटना का जिक्र करते हुए अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X अकाउंट पर लिखा है, "एनएचआरसी ने एक किसान को उसके गंदे कपड़ों की वजह से एक अधिकारी द्वारा मेट्रो ट्रेन में चढ़ने से रोकने की घटना का स्वत: संज्ञान लिया है. आयोग का मानना है कि किसी को उसके कपड़ों की वजह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल से नहीं रोका जा सकता"
26 फरवरी को रोका गया था किसान एक किसान को
26 फरवरी को राजाजीनगर मेट्रो स्टेशन एक किसान अपने सिर पर एक बोरा लेकर पहुंचता है. लेकिन वहां तैनात एक अधिकारी उसे अंदर जाने से रोक दिया, जबकि किसान के पास मेट्रो ट्रेन का टिकट था. घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल है.वीडियो में कई यात्रियों को अधिकारी के फैसले का विरोध करते हुए देखा जा सकता है. कई लोगों ने अधिकारी से पूछा कि क्या मेट्रो रेल में यात्रियों के लिए कोई ड्रेस कोड है और क्या यह केवल वीआईपी लोगों के लिए है.
"इस व्यक्ति को अंदर नहीं जाने दिया, क्योंकि इसके कपड़े गंदे है. बैग में कुछ भी नहीं है, केवल उसके कपड़े की वजह से नहीं जाने दे रहे. उसकी अच्छी तरह से तलाशी ली गई है. वह एक किसान है. वह एक गांव से है. अधिकारियों का कहना है कि इससे दूसरों को दिक्कत होगी. क्या ये कोई वीआईपी ट्रांसपोर्ट सर्विस है? इसके पास टिकट भी है." बाद में किसान को मेट्रो स्टेशन में अंदर जाने दिया और अधिकारियों ने घटना पर खेद जताया. वीडियो वायरल होने के बाद बेंगलुरु मेट्रो ने अधिकारी को बर्खास्त कर दिया.
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