''गांव का किसान शहर का मजदूर है'' मुंबई में किसान-मजदूर महापंचायत में बोले राकेश टिकैत

महापंचायत में सरकार में विलीनीकरण की मांग को लकेर आज़ाद मैदान में बैठे ST कमर्चारी महापंचायत में शामिल नहीं हुए. लेकिन खुद राकेश टिकैत ने उनका समर्थन करते हुए महाराष्ट्र सरकार से ST कर्मचारियों की बात सुनने का आग्रह किया.

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मुंबई में आयोजित किसान मजदूर महापंचायत में पहुंचे राकेश टिकैत.

मुंबई:

मुंबई में आज बुलाई गई 'किसान मजदूर महापंचायत' में भारी संख्या में किसानों ने हिस्सा लिया. इस अवसर पर किसान नेता राकेश टिकैत भी वहां पहुंचे. देश के कई किसान संगठनों ने इस महापंचायत में हिस्सा लिया. न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी पर कानूनी प्रावधान और केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को पद से हटाए जाने सहित अपनी कई मांगों को लेकर किसानों ने मुंबई के आजाद मैदान में आवाज बुलंद की. किसान नेता राकेश टिकैत ने एमएसपी, स्वामीनाथन रिपोर्ट और बेरोजगारी सहित कई मुद्दों पर चर्चा की.

बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद से किसानों में ऊर्जा का संचार हो गया है. माना जा रहा था कि कृषि कानून वापसी की घोषणा के साथ ही दिल्ली की सीमा पर साल भर से बैठे किसान वापस चले जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. किसानों ने बिल वापसी का स्वागत तो किया लेकिन वापस जाने से ये कहकर इनकार कर दिया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी भी चाहिए.

कृषि कानून वापस लेने की घोषणा से  किसानों का हौसला इस कदर बढ़ा है कि अब वो एमएसपी के साथ ही मजदूरों के हक के लिए भी आवाज बुलंद करने में जुट गए हैं. मुंबई के आजाद मैदान में किसान मजदूर महापंचायत में दिल्ली के सभी बड़े किसान नेताओं ने उपस्थिति दर्ज कर किसान मजदूर एकता की आवाज बुलंद की. महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि गांव का किसान शहर का मजदूर है, मजदूर राष्ट्र निर्माण करते हैं. वहीं महापंचायत में पहुंचे स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानों को दान नहीं दाम चाहिए, एमएसपी पर कानून चाहिए. महापंचायत में छोटे बड़े तकरीबन 100 अलग-अलग संगठनों ने हिस्सा लिया जिसमें किसान, आदिवासी, मजदूरों समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे. 

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महापंचायत में सरकार में विलीनीकरण की मांग को लकेर आज़ाद मैदान में बैठे ST कमर्चारी महापंचायत में शामिल नहीं हुए. लेकिन खुद राकेश टिकैत ने उनका समर्थन करते हुए महाराष्ट्र सरकार से ST कर्मचारियों की बात सुनने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि निजीकरण ना करके तेलंगाना की तरह उनका विलीनीकरण करना चाहिए. किसान आंदोलन ने लोकतंत्र में सत्याग्रह को पुनर्जीवित किया है और इससे समाज के दूसरे पीड़ित वर्गों को भी उम्मीद जगी है कि सरकार झुकती है झुकाने वाला चहिये.

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