फैमिली पेंशन पर 50 साल पुराना कानून बदला, 'हत्या' के ऐसे मामलों में अब नहीं रुकेगी पेंशन की रकम

Family Pension : जब सरकारी पेंशन पाने वाले किसी पेंशनधारी की हत्या हो जाए और उसकी हत्या का आरोपी उसका/उसकी पति/पत्नी हो या फिर परिवार का कोई ऐसा सदस्य हो, जिसे पेंशनधारी के मरने के बाद पेंशन की रकम मिला करेगी. ऐसे मामलों में सरकार उस पेंशनधारी की पेंशन को रोक देती थी.

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फैमिली पेंशन को लेकर सरकार ने किया बड़ा बदलाव. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

फैमिली पेंशन पर केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने आखिरकार लगभग 50 साल पुराने एक नियम को बदल दिया है. Central Civil Services (Pension) Rules, 1972 के नियम 54 का उप-नियम (11-C) इस मामले में लागू होता था, जब सरकारी पेंशन पाने वाले किसी पेंशनधारी की हत्या हो जाए और उसकी हत्या का आरोपी उसका/उसकी पति/पत्नी हो या फिर परिवार का कोई ऐसा सदस्य हो, जिसे पेंशनधारी के मरने के बाद पेंशन की रकम मिला करेगी. 

ऐसे मामलों में सरकार उस पेंशनधारी की पेंशन को रोक देती थी. कानूनी मामला निपट जाने के बाद इसे फिर से शुरू किया जाता था, लेकिन अब इन मामलों में पेंशन रोकी नहीं जाएगी. 16 जून को कार्मिक मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर इस नए बदलाव के बारे में अवगत कराया है, जिसकी जानकारी हम आपको नीचे दे रहे हैं.

क्या था पुराना कानून?

अगर किसी पेंशनधारी की हत्या हो जाती है और हत्या का आरोपी उसका/उसकी पति/पत्नी हो या फिर परिवार का कोई ऐसा सदस्य हो, जिसे पेंशनधारी के मरने के बाद पेंशन की रकम मिला करेगी, तो सरकार तुरंत उसकी पेंशन को रोक देती थी. इसे तबतक रोका जाता था, जब तक मामले का निपटारा न हो जाए. अगर आरोपी आरोपों से बरी हो जाता था, तो फैमिली पेंशन उसे दिया जाने लगता था, लेकिन अगर वो दोषी साबित हुआ तो फिर उसके बाद अगर परिवार में कोई और पेंशन की रकम पाने का पात्र है, तो पेंशन उसके नाम से जारी की जाती थी. उसे एरियर भी मिलते थे. इस कानून से ऐसे मामलों में पूरे परिवार को परेशानी होती थी.

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क्या है नया बदलाव?

16 जून को कार्मिक मंत्रालय ने एक नया आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि ऐसे मामलों में अब सरकार फैमिली पेंशन नहीं रोकेगी, बल्कि आरोपी को छोड़कर परिवार में जो अगला पात्र सदस्य होगा, उसे तुरंत पेंशन की रकम दी जाने लगेगी.

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इस आदेश में कहा गया है कि 'परिवार के किसी ऐसे पेंशन पाने के पात्र सदस्य को, जिसपर हत्या का आरोप नहीं है, पेंशन न देने से पूरा परिवार तंगी से गुजर सकता है. कानूनी मामले के निपटने तक परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में दिक्कत आ सकती है, ऐसे में पेंशन को पूरी तरह रोकना ठीक नहीं होगा.'

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और अगर मान लें कि अगर पेंशनधारी की हत्या का आरोप उसके पति/पत्नी पर है और अगला पात्र सदस्य नाबालिग है, तो उस नाबालिग का जो गार्जियन होगा, उसे पेंशन की रकम मिलेगी. हां लेकिन आरोपी पेंशन की रकम निकालने के लिए बच्चे का गार्जियन नहीं बन सकता.

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अगर हत्या का आरोपी बरी हो जाता है तो बरी होने के आदेश वाले दिन से वो पेंशन की रकम का हकदार हो जाएगा. और उस तारीख के बाद से परिवार के दूसरे सदस्य की (जो रकम उठा रहा था) उसका हक खत्म हो जाएगा.

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