लद्दाख में चीन के 'माइक्रोवेव हथियार' इस्तेमाल करने की रिपोर्टों को भारत ने बताया 'फर्ज़ी ख़बर'

Ladakh Standoff: सेना के सूत्रों ने पलटवार कर पूछा, "अगर उनलोगों ने हमें ऊंची पहाड़ियों पर से खदेड़ दिया है, तो फिर चीन क्यों रोज रोना रो रहा है कि भारत ऊंची पहाड़ियों से सैनिकों को पीछे हटाए?" सेना ने कहा कि हमारे सैनिक और टैंक एवं अन्य सामान अभी भी वहीं हैं, और अभी तक हमने ऊंची पहाड़ियों से कदम नहीं हटाए हैं.

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ndia-China Standoff: सेना ने एक ग्राफिक के जरिए ट्वीट कर कहा, 'मीडिया रिपोर्टों के हवाले से किए गए दावे फर्जी हैं. लद्दाख में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है'.
नई दिल्ली:

भारत ने मंगलवार (17 नवंबर) को उस दावे का खंडन किया है, जिसमें एक चीनी प्रोफेसर ने कहा था कि लद्दाख में सीमा विवाद (Boundry dispute in Laddakh) के दौरान हुई झड़प में चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों को हराने के लिए माइक्रोवव हथियार (microwave weapons) का इस्तेमाल किया था. भारत के आधिकारिक सूत्रों ने चीनी प्रोफेसर के इस दावे को फर्जी करार दिया है. अधिकारियों ने कहा है कि चीन ने बीजिंग के प्रोफेसर की बात का हवाला देते हुए माइक्रोवेव हथियारों का इस्तेमाल करने के बारे में "फर्जी खबर" परोसी है, जिसमें कहा गया है कि चीनी सेना ने भारत के साथ हाल ही में हुई झड़प के दौरान पहाड़ की चोटी को माइक्रोवेव ओवन में बदल दिया था और विवादित सीमा क्षेत्र में पहाड़ियों पर दो प्रमुख स्थानों पर कब्जा कर लिया था.

पीआईबी फैक्ट्स की तरफ से मामले की जांच कर बताया गया है कि यह फर्जी खबर है और लद्दाख में इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है. भारतीय सेना ने भी विदेशी मीडिया में आई इन खबरों का खंडन करते हुए उसे निराधार बताया है. एक अधिकारी ने कहा, "यह चीन की तरफ से बिल्कुल शुद्ध मानसिक विकार वाला झूठ है."

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भारतीय सेना ने मंगलवार को इस बारे में आधिकारिक तौर पर इनकार करते हुए वक्तव्य जारी किया और कहा कि वे उच्च भूमि के नियंत्रण में हैं. सेना ने एक ग्राफिक के जरिए ट्वीट कर कहा, "मीडिया रिपोर्टों के हवाले से किए गए दावे फर्जी हैं. लद्दाख में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है."

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वॉशिंगटन एग्जामिनर के मुताबिक, बीजिंग स्थित प्रोफेसर ने दावा किया कि चीनी बलों ने दशकों पुराने समझौते का सम्मान करते हुए लड़ने के लिए माइक्रोवेव वीपन का इस्तेमाल किया था कि दो परमाणु हथियारबंद पड़ोसी सीमा विवाद में आग्नेयास्त्रों का उपयोग नहीं करेंगे. 

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ब्रिटेन के एक समाचार पत्र के अनुसार, रेनमिन विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर जिन कैन्रॉन्ग ने कहा, "जिन लोगों ने पहाड़ी पर कब्जा कर रखा था, 15 मिनट में ही दस्त करने लगे, वो हमारे समाने खड़े नहीं हो सकते थे, इसलिए तुरंत भाग खड़े हुए.  इस तरह से हमने उनसे जमीन वापस ले ली." चीनी प्रोफेसर ने दावा किया है कि ये घटना 29 अगस्त की है लेकिन भारतीय सेना ने कहा कि ऐसा कभी भी नहीं हुआ.

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सेना के सूत्रों ने पलटवार कर पूछा, "अगर उनलोगों ने हमें ऊंची पहाड़ियों पर से खदेड़ दिया है, तो फिर चीन क्यों रोज रोना रो रहा है कि भारत ऊंची पहाड़ियों से सैनिकों को पीछे हटाए?" सेना ने कहा कि हमारे सैनिक और टैंक एवं अन्य सामान अभी भी वहीं हैं, और अभी तक हमने ऊंची पहाड़ियों से कदम नहीं हटाए हैं.

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