Exclusive : अडाणी ग्रुप को शेयरों में 7 बिलियन डॉलर का नुकसान, कंपनी के शीर्ष अधिकारी ने दी सफाई

खबर आई थी कि नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड ने ग्रुप के तीन विदेशी निवेशकों के अकाउंट को फ्रीज कर दिया है, जिसके बाद कंपनी के शेयर गिरने लगे, लेकिन स्पष्टीकरण आने के बाद भी कंपनी के शेयर गिर रहे हैं. हमने कंपनी के CFO जुगेशिंदर सिंह से बात की.

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Adani ग्रुप के शेयर सोमवार से ही गिर रहे हैं, हालांकि, कुछ कंपनियों में रिकवरी दिखी है.
नई दिल्ली:

शेयर मार्केट में सोमवार से ही अडाणी ग्रुप के शेयरों (Adani Group Stock Value) के लिए मुसीबत बनी हुई है. सोमवार को खबर आई थी कि नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड ने ग्रुप के तीन विदेशी निवेशकों- Albula Investment Fund, Cresta Fund और APMS Investment Fund के अकाउंट को फ्रीज कर दिया है, जिसके बाद कंपनी के शेयर गिरने लगे और ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडाणी इंटरप्राइजेज़ के शेयर 25 फीसदी तक गिर गए, वहीं ग्रुप की सारी कंपनियों के शेयरों में लोअर सर्किट लग गया.

हालांकि, NSDL ने बाद में ग्रुप को स्पष्टीकरण दिया था कि कंपनी के शेयरहोल्डरों के खाते एक्टिव हैं, और एक्शन किसी दूसरे केस में लिया गया है. अडाणी ग्रुप ने भी इसपर बयान जारी किया था और मीडिया रिपोर्ट्स की आलोचना की थी. कंपनी ने बताया था कि निवेशकों के अकाउंट्स एक्टिव हैं लेकिन इसके बाद भी अडाणी ग्रुप के शेयरों में ज्यादा सुधार नहीं है. आज भी अडाणी गैस, अडाणी ट्रांसमिशन और अडाणी पावर के शेयरों में लोअर सर्किट लगा है.

अब अडाणी ग्रुप के स्ट्रक्चर, इसके किस तरह के निवेशक हैं और निवेश में कितनी पारदर्शिता है, वगैरह को लेकर सवाल उठ रहे हैं. इसे लेकर NDTV ने कंपनी के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर जुगेशिंदर सिंह से बात की. 

उनके साथ हुई चर्चा की प्रमुख बातें- 

  • सिंह ने बताया कि जो एक्शन लिया गया था, वो 2016 के एक मामले में लिया गया था. खबर आने के बाद कंपनी ने निवेशकों से इसपर स्पष्टीकरण मांगा तो पता चला कि कोई अकाउंट फ्रीज नहीं है.
  • उन्होंने बताया कि निवेशकों की केवाईसी का काम कंपनी का नहीं है, रेगुलेटर का है.  उन्होंने बताया कि पारदर्शिता के लिए कंपनी ट्रांसपेरेंसी सर्टिफिकेट देखती है.
  • उन्होंने कहा कि कंपनी के डिस्क्लोजर दस्तावेज कुछ अलग नहीं हैं. इनकी गुणवत्ता भी उतनी ही जितने स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड दूसरी कंपनियों के.
  • निवेशकों के शेयरहोल्डिंग पर उन्होंने बताया कि ये कंपनी वन-टाइम इन्वेस्टर थी और 2010 से पहले निवेश किया था. बाद में ग्रुप में कई कंपनियां अलग-अलग गठित की गईं, ये वर्टिकल डिमर्ज था ऐसे में इनकी भी नई कंपनियों में शेयरहोल्डिंग बनी रही.
  • उन्होंने निवेशकों की ओर से सेबी के नियमों के पालन न किए जाने वाले सवालों पर कहा कि यह सवाल रेगुलेटर और निवेशकों से पूछा जाना चाहिए, ये उनके अधिकार से बाहर है. दोनों एक दूसरे से डील कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे लिए 'ट्रांसपेरेंसी, डिस्क्लोजर और वक्त पर रिपोर्टिंग बहुत जरूरी है, हम इसे बढ़ावा देते हैं.'
  • उन्होंने अडाणी ग्रुप की कंपनियों को लेकर कहा कि ये कंपनिया 2 से 3 साल पुरानी कंपनी हैं और यह 5 से 7 साल बाद भी बढ़ती रहेंगी. उन्होंने कहा कि 'हम युवा कंपनी हैं और तेजी से बढ़ रहे हैं.' उन्होंने कहा कि कंपनी के शेयर बढ़ रहे हैं. CFO ने कहा कि कंपनी यूटिलिटी प्लेटफॉर्म है, लेकिन भारत में अभी कोई यूटिलिटी इंडेक्स नहीं है. उन्होंने कहा कि कंपनी डाइवर्सिफाइड रजिस्टर रखना चाहती है और इसके लिए काम कर रही है.
  • सिटी गैस को लेकर उन्होंने कहा कि यह उनके लिए बहुत अहम है क्योंकि यह बिजनेस-टू-कस्टमर टाइप का बिजनेस है. चूंकि यह टियर टू और टियर थ्री शहरों में भी फैल रही है, ऐसे में इसपर कंपनी का फोकस है.
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