रंग लाई सामाजिक कार्यकर्ता की जी-तोड़ मेहनत, पति की मौत के 69 साल बाद महिला को मिलेगी पेंशन

पारूली देवी ने कहा, ‘‘मुझे पैसे की जरूरत नहीं है, लेकिन सरकार ने मेरे पति और मुझे पहचान दी. यह मेरे लिए बहुत संतोष की बात है.’’

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महिला ने कहा- मुझे पैसे की जरूरत नहीं (प्रतीकात्मक तस्वीर)
पिथौरागढ:

एक पूर्व फौजी की मृत्यु के 69 वर्ष बाद उनकी 81 वर्षीय पत्नी को पेंशन (Pension) मिलने का मामला सामने आया है. पति के निधन के वक्त उनकी उम्र 12 साल थी. अस्सी से ज्यादा बसंत देख चुकीं पूर्व फौजी की पत्नी के जीवन में अचानक पैसों की यह बरसात सामाजिक कार्यकर्ता डीएस भंडारी की वजह से हुई है जिन्होंने उनकी तकलीफों को देखने के बाद उनके लिए कुछ करने का निर्णय किया. जब भंडारी को यह पता चला कि पारूली देवी के पति की मृत्यु सेवा में रहते हुए एक दुर्घटना में हुई थी और वह पारिवारिक पेंशन पाने की हकदार हैं तो उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए दिन रात एक कर दिया कि उन्हें इसका लाभ मिले. 

सात वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त होने के बाद से सामाजिक सेवा में लगे भंडारी ने बताया कि 14 जून, 1952 में पति की मृत्यु के बाद से अपने भाइयों के साथ लुंथुरा गांव में रह रही पारूली देवी के बारे में जब उन्हें पता चला तो वह खुद को उनकी मदद करने से नहीं रोक पाए. 

उन्होंने बताया कि देवी के पति गगन सिंह की दुर्घटना में तब मृत्यु हो गई थी जब वह सेवारत थे. भंडारी ने बताया कि पूछताछ करने पर पता चला कि पारूली देवी भारत सरकार की पूर्व सैनिक पारिवारिक पेंशन स्कीम के तहत पेंशन पाने की हकदार हैं. उन्होंने बताया कि रक्षा सेवाओं के मुख्य नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के प्रयागराज कार्यालय ने आखिरकार उनकी पेंशन सितंबर 1977 से स्वीकृत कर दी जिसके बाद पारूली देवी को कुल 20 लाख रुपए मिलेंगे. 

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इस बारे में संपर्क करने पर पारूली देवी ने कहा, ‘‘मुझे पैसे की जरूरत नहीं है, लेकिन सरकार ने मेरे पति और मुझे पहचान दी. यह मेरे लिए बहुत संतोष की बात है.''

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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