सरकार का दावा- पराली जलाने की घटनाओं में 90 फीसदी तक आई कमी, सवाल- फिर इतना प्रदूषण क्यों?

पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं को काफी हद तक कंट्रोल कर दिया गया है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोमवार को लोकसभा में जानकारी दी है कि पराली जलाने की घटनाओं में 90 फीसदी तक कमी आई है.

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पराली जलाता किसान और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव.
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  • सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के प्रदूषण पर सख्त टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार से एक्शन प्लान की मांग की है.
  • इस बीच पर्यावरण मंत्री ने लोकसभा में बताया कि पंजाब, हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 90% कमी आई है.
  • 2025 में पंजाब में सबसे अधिक पराली जलाने की घटनाएं संगरूर में दर्ज हुईं, उसके बाद फिरोजपुर और मुक्तसर हैं.
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नई दिल्ली:

Stubble Burning Incidents: राजधानी दिल्ली में प्रदूषण  के कारण लोगों की सांसों पर संकट बना हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली के प्रदूषण पर सख्त टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार से एक्शन ऑफ प्लान की मांग की है. इस बीच केंद्र सरकार ने बड़ा दावा करते हुए जानकारी दी कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 90 फीसदी तक कमी आई है. दरअसल केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने लोक सभा में पूछे गए एक सवाल में यह जानकारी दी. 

केंद्रीय मंत्री ने लोकसभा में दी जानकारी

लिखित प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 2022 की तुलना में 2025 में लगभग 90% की कमी आई है. उन्होंने बताया कि पंजाब में अक्टूबर, नवंबर 2025 में पराली जलाने की कुल 5017 घटनाएं दर्ज हुईं. 

संगरूर में सबसे अधिक पराली जलाने की घटनाएं हुईं दर्ज

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री द्वारा लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार 2025 में पंजाब में सबसे अधिक पराली जलाने की घटनाएं संगरूर जिले में दर्ज हुई है. संगरूर में पराली जलाने की कुल 693 घटनाएं, फिर फिरोजपुर में 547 घटनाएं, मुक्तसर में 376 घटनाएं दर्ज हुईं. जबकि जालंधर में 85 घटनाएँ दर्ज हुईं.

केंद्रीय मंत्री ने बताया- दिल्ली में वायु प्रदूषण कई कारणों से

केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण कई कारणों से होता है, जिनमें वाहन, उद्योग, निर्माण कार्य, धूल, कचरा जलाना और पराली जलाना शामिल हैं. दिल्ली में “अच्छे दिनों” (AQI < 200) की संख्या 2016 के 110 दिनों से बढ़कर 2025 में 200 दिन हो गई है. गंभीर प्रदूषण वाले दिन (AQI > 401) 2024 के 71 दिनों से घटकर 2025 में 50 दिन रह गए हैं.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में भी जानकारी दी.

  1. वित्तीय सहायता: 2018-19 से 2025-26 तक पंजाब और हरियाणा को ₹3120.16 करोड़ दिए गए, जिससे 2.6 लाख से अधिक CRM मशीनें किसानों और 33,800 कस्टम हायरिंग सेंटर को दी गईं.
  2. मशीनों की मुफ्त उपलब्धता: छोटे और सीमांत किसानों के लिए CRM मशीनें किराए पर मुफ्त देने के निर्देश.
  3. बायोमास उपयोग: ईंट भट्टों और थर्मल पावर प्लांट्स में पराली आधारित पेलेट्स/ब्रिकेट्स के उपयोग को अनिवार्य किया गया.
  4. कानूनी कार्रवाई: जिला अधिकारियों को पराली जलाने पर कार्रवाई न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अधिकार.
  5. निगरानी: 31 फ्लाइंग स्क्वॉड्स पंजाब और हरियाणा के हॉटस्पॉट जिलों में तैनात किए गए.
  6. नियमित समीक्षा बैठकें: केंद्रीय और राज्य स्तर पर कई उच्चस्तरीय बैठकें हुईं, जिनमें मशीनों के बेहतर उपयोग, आपूर्ति श्रृंखला और भंडारण की निगरानी पर जोर दिया गया.

पराली जलाने की घटनाओं में आई कमी के बाद भी दिल्ली में इस साल प्रदूषण जिस खतरनाक स्तर पर गया, उसका कारण क्या है? इसके बारे में अभी ठोस जानकारी सामने नहीं आई है. 

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