"नाश्‍ता कर लो, कभी भी गिरफ्तारी...." इमरजेंसी के वे किस्‍से जो आज भी जेहन में हैं ताजा

अटल-आडवाणी हॉस्‍टल के ग्राउंड फ्लोर की कैंटीन में नाश्‍ता करने गए. नाश्‍ते की मेज पर ही दोनों को पता चला कि पुलिस बाहर आ चुकी है. लालकृष्‍ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी कैंटीन से जैसे की बाहर निकले, तो पुलिस बाहर खड़ी थी.

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मां के अंतिम दर्शन नहीं कर पाए थे राजनाथ सिंह...
नई दिल्‍ली:

सरकार ने आपातकाल की अवधि के दौरान अमानवीय पीड़ा झेलने वालों के “व्यापक योगदान” को याद करने के लिये 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया है. इसी दिन 1975 में आपातकाल की घोषणा की गई थी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को यह ऐलान किया. उन्होंने यह भी कहा कि ‘संविधान हत्या दिवस' मनाने से प्रत्येक भारतीय में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा की अमर ज्वाला को प्रज्वलित रखने में मदद मिलेगी, जिससे कांग्रेस जैसी “तानाशाही ताकतों” को “उन भयावहताओं को दोहराने” से रोका जा सकेगा.

इस मौके  पर हम आपको बता दें, देश में 1975 को लगे आपातकाल की यादें कई लोगों के जेहन में आज भी ताजा हैं. इस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर लालू प्रसाद यादव तक जेल में रहे थे. अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्‍ण आडवाणी को आपातकाल के दौरान बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था. वहीं, लालू यादव ने मीसा कानून के विरोध में अपनी बेटी का नाम ही मीसा रख दिया था. साल 1975 में 25-26 जून की दरम्यानी रात से 21 मार्च 1977 तक (21 महीने के लिए) भारत में आपातकाल घोषित किया गया था. तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा की थी. स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक समय था. आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए थे और सभी नागरिक अधिकारों को समाप्त कर दिया गया था.

आपातकाल के वक्‍त बेंगलोर में थे आडवाणी लाल कृष्‍ण आडवाणी की जेल डायरी में प्रकाशित जानकारी के मुताबिक, देश में जब आपातकाल लगा, तब बीजेपी (तब जनसंघ) के वरिष्‍ठ नेता लाल कृष्‍ण आडवाणी बंगलोर में थे. यहां अटल बिहारी वाजपेयाी सहित जनसंघ के कई नेता और कांग्रेस के भी कई नेता उनके साथ ही थे. यहां एक बैठक होनी थी. ये सभी सदन की संयुक्‍त चयन समिति की एक बैठक में भाग लेने बंगलोर पहुंचे थे. आडवाणी और श्‍यामनंदन मिश्रा 25 जून 1975 को ही बंगलोर पहुंचे थे. दोनों एमएलए हॉस्‍टल की पहली मंजिल पर एक ही कमरे में रुके हुए थे. किसी को अंदाजा नहीं था कि कल क्‍या होने वाला है. 26 जनवरी 1975 की सुबह आडवाणी को जनसंघ कार्यालय से फोन आया कि जय प्रकाश नारायण समेत कई नेता गिरफ्तार हो चुके हैं. संदेश था कि जल्‍द ही आडवाणी और वाजपेयी तक भी पुलिस पहुंच सकती है. ऐसे में आडवाणी और वाजपेयी ने अंडरग्राउंड होने की कोशिश नहीं की. आडवाणी और वाजपेयी ने निर्णय लिया कि पुलिस आएगी, तो गिरफ्तारी देंगे.  

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अटल बिहारी वाजपेयाी ने नाश्‍ता किया और फिर दी गिरफ्तारी

आपातकाल की घोषणा के बाद 26 जून 1975 को लालकृष्‍ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी को गिरफ्तार कर लिया गया था. गिरफ्तारी का ये किस्‍सा भी काफी याद किया जाता है. जनसंघ के ये दोनों ही नेता उस समय बेंगलुरु में थे. इन तक खबर आ चुकी थी कि गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है. लालकृष्‍ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी दोनों एमएलए हॉस्‍टल में मौजूद थे. ऐसे में दोनों ने निर्णय किया की पुलिस आएगी, तो गिरफ्तारी दे देंगे. अटल बिहारी वाजपेयाी ने कहा कि चलो नाश्‍ता कर लेते हैं, पुलिस कभी भी आ सकती है. अटल-आडवाणी हॉस्‍टल के ग्राउंड फ्लोर की कैंटीन में नाश्‍ता करने गए. नाश्‍ते की मेज पर ही दोनों को पता चला कि पुलिस बाहर आ चुकी है. लालकृष्‍ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी कैंटीन से जैसे की बाहर निकले, तो पुलिस बाहर खड़ी थी. पुलिस ऑफिसर ने बताया कि हम आपको गिरफ्तार करने आए हैं. अटल बिहार वाजपेयी 18 महीने जेल में कैद रहे. वाजपेयी जेल में रहकर आपातकाल के विरोध में कविताएं लिखकर इंदिरा गांधी की कड़ी आलोचना की थी.

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लालू ने बेटी का नाम इसलिए रखा मीसा 

लालू प्रसाद यादव 22 साल की उम्र में जेपी आंदोलन में शामिल हो गए थे. लालू यादव राजनीति में आए और पटना यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन के महासचिव बनाए गए. आपातकाल के दौरान लालू यादव ने भी कई विरोध प्रदर्शनों में हिस्‍सा लिया, जिसके कारण उन्‍हें गिरफ्तार किया गया. लालू यादव 1977 तक जेल में बंद रहे. आपातकाल के दौरान लालू यादव को मीसा कानून के तहत जेल में डाला गया था, यही वजह थी कि उन्‍होंने बेटी का नाम मीसा रखा था. इसके बाद लालू यादव ने लोकसभा चुनाव लड़ा और 29 साल की उम्र में सांसद बन सबसे कम उम्र के नेता का रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया था.

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मां के अंतिम दर्शन नहीं कर पाए थे राजनाथ सिंह 

राजनाथ सिंह भी आपातकाल के दौरान गिरफ्तार कर लिये गए थे. ये दौर उनके लिए किसी पहाड़ जितना भारी साबित हुआ था. दरअसल, जब राजनाथ जेल में थे, तब उनकी मां की तबीयत बहुत खराब हो गई थी. वाराणसी के माता अमृतानंदमयी हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया. अस्‍पताल में 27 दिनों तक इलाज चला और आखिरकार उनका ब्रेन हैमरेज होने के बाद निधन हो गया. राजनाथ ने बताया, "मुझे मां के अंतिम दर्शन के लिए पेरोल नहीं दी गई थी. मैंने काफी गुहार लगाई थी, लेकिन तत्‍कालीन सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा.

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नीतीश की गिरफ्तारी पर पुलिसवालों को मिला था 2750 रुपये का इनाम

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इमरजेंसी के वक्‍त काफी सक्रिय थे और कई विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. नीतीश 9/10 जून, 1976 की रात में गिरफ्तार हुए थे. नीतीश कुमार उस समय युवा थे और उनकी गिरफ्तारी पर 15 पुलिस पदाधिकारियों तथा सिपाहियों को 2750 रुपये का इनाम मिला था. पुलिस अधिकारियों को सूचना मिली थी कि पटना और भोजपुर के कुछ आंदोलनकारी दुबौली गांव बैठक करेंगे. यहीं नीतीश कुमार और अन्‍य नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस इन्‍हें गिरफ्तार करने के लिए सादे लिबाज में पहुंची थी. नीतीश कुमार सहित छह शीर्ष नेताओं को मीसा के तहत नजरबंद कर दिया गया था.

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