यूपी के शामली जिले में शर्मनाक वाकया सामने आया है. यहां नगरपालिका द्वारा कूड़ा गाड़ी में एक महिला का शव श्मशान ले जाया गया. बालामती की मौत कोविड से नहीं हुई,लेकिन कोविड की दहशत ऐसी है कि उन्हें कंधा देने को चार लोग नहीं मिले. उनके भाई प्रवास घर में अकेले थे.तीन और लोगों की ज़रूरत थी बहन की अर्थी को कंधा देने के लिए. मोहल्ले में आसपास के कई घरों में गए. कोई अर्थी को कांधा देने को तैयार नहीं हुआ. फिर उन्होंने नगर निगम को फ़ोन किया. नगर निगम ने कूड़ा गाड़ी में बालामती के शव को श्मशान पहुंचा दिया. लेकिन इस बीच किसी ने तस्वीर खींच कर वायरल कर दी.
यह तस्वीर दिल दहलाने वाली भी है और दिल दुखाने वाली भी।मामला शामली के जलालाबाद कस्बे के है।यहां डॉक्टर प्रवास नाम के एक ग़रीब बंगाली होम्योपैथिक डॉक्टर रहते हैं।बंगाल में उनकी बहन बालामती लंबे अरसे से बीमार थीं।चूंकि बालामती ग़ैर शादीशुदा थीं,लेहाज़ा उनकी देखभाल करने वाला परिवार नहीं था।प्रवास बहन को बंगाल से शामली लाये।यहां उनका इलाज भी करने की कोशिश की।लेकिन बचा नहीं सके।शनिवार की रात उनकी मौत हो ग
रविवार को सुबह वह मोहल्ले में लोगों से मिन्नतें करते रहे कि ,"मेरी बहन की अर्थी को कांधा दे दो ,वो कोरोना से नहीं मरी है।" लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ. सबको यह लग रहा था कि आजकल ज़्यादातर लोग कोरोना से ही मर रहे हैं. हो न हो इसे भी कोरोना ही रह होगा. फिर भाई प्रवास ने नगरपालिका को फ़ोन कर बहन का शव शमशान पहुंचाने कहाऔर नगरपालिका ने उसे कूड़ागाडी में पहुंचा दिया.
शामली की डी एम जसजीत कौर ने एन डी टी वी को बताया कि उन्होंने वायरल तस्वीर देख कर इसकी जांच एस डी एम और एक ए सी एम ओ को दे दी है. उनका कहना है कि वह कोविड कंट्रोल रूम के नंबर का काफी प्रचार करवा रही हैं. उसमें यह भी बताया जा रहा है कि अगर एम्बुलेंस या शव वाहन की ज़रूरत हो तो उस नंबर पर सम्पर्क करें, लेकिन प्रवास ने नगर पालिका को फ़ोन कर दिया, जिन्होंने यह काम किया है. इसकी जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.