चावल की वजह से हाथी ने केरल के गांव में मचाया कहर, राशन की दुकान को किया तबाह

इस हाथी का चावल के प्रति प्रेम देखकर गांव वालों ने इसका नाम अरिकोम्बरन रख दिया है. स्थानीय भाषा में ‘अरि’ का मतलब चावल और ‘कोम्बन’ का अर्थ हाथी होता है.

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नई दिल्ली:

इन दिनों केरल के इडुक्की जिले के एक गांव में एक हाथी ने कहर मचाया हुआ है. यह हाथी खास तौर पर राशन की दुकानों को ही निशाना बना रहा है. इन दुकानों पर जाकर वह पहले जमकर उत्पात मचाता है और फिर वहां से चला जाता है. हाथी के उत्पात मचाने की मुख्य वजह चावल को बताया जा रहा है. गांव वालों का कहना है कि इस हाथी को चावल बेहद पसंद है, इसलिए वह राशन की दुकान पर उत्पात मचाने के बाद वहां से सिर्फ चावल खाता है. एक बार पेट भरने के बाद वो वहां से चला जाता है. इस हाथी का चावल के प्रति प्रेम देखकर गांव वालों ने इसका नाम अरिकोम्बरन रख दिया है. 

स्थानीय भाषा में ‘अरि' का मतलब चावल और ‘कोम्बन' का अर्थ हाथी होता है. हालांकि, वन्यजीव अधिकारियों ने कहा कि राशन की दुकान हाथियों के परंपरागत मार्ग पर स्थित है. यही वजह है कि वो आते जाते इन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं. अधिकारियों ने कहा कि अभी इस बात की पुष्टि की जानी बाकी है कि क्या उसी हाथी ने राशन की दुकान पर धावा बोला था.

वहीं, दुकान मालिक एंटोनी ने कहा कि पन्नियर एस्टेट में स्थित राशन की दुकान पर हाथी ने पिछले 10 दिनों में चार बार धावा बोला, लेकिन शुक्रवार की सुबह इसने इस दुकान को पूरी तरह तबाह कर दिया.

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एंटोनी ने कहा कि हाथी राशन की दुकान के चावल और यहां रखे गए अन्य सामान खाता रहा है. उन्होंने कहा कि इस बार हमले का अनुमान लगाते हुए दुकान की सभी चीजों को दूसरे कक्ष में स्थानांतरित कर दिया था.

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एंटोनी ने कहा कि हाथी को जब दुकान में कुछ भी खाने को नहीं मिला तो उसने दुकान को तबाह कर दिया. उन्होंने कहा कि वह हाथी अक्सर छोटी दुकानों पर हमला करके इसके लोहे के तालों को हटाकर चावल को खा जाता है. इसके लिए हाथी अपनी सूंड़ से दुकान को पलट देता है.

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एंटोनी ने कहा कि चावल के अलावा चीनी और गेहूं भी हाथी का पसंदीदा भोजन है. उन्होंने कहा कि ‘अरिकोम्बन' के अलावा दो अन्य हाथी भी इस क्षेत्र की दुकानों पर हमले करते रहे हैं, जिन्हें स्थानीय लोग ‘चक्काकोम्बन' और ‘मुरलीवालन' कहते हैं. दुकानों पर हाथी हमला क्यों करते हैं? इसके जवाब में पुनयावेल नामक ग्रामीण ने कहा कि इन जानवरों ने किसी तरह चावल का स्वाद चख लिया है और वे इसकी तलाश में अक्सर आते हैं.

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