MP-राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने क्यों नहीं किया गठबंधन? वरिष्ठ नेता ने बताई वजह

सीनियर कांग्रेस नेता मनिकम टैगोर ने कहा कि कांग्रेस के लिए गठबंधन के महत्व को समझना मुश्किल है, क्योंकि एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान जैसे राज्यों में गठबंधन की राजनीति नहीं है. वहां पार्टी अकेले चुनाव लड़ती और जीतती आई है.''

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नई दिल्ली:

हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनावों (Assembly Elections Result 2023) में कांग्रेस (Congress) बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा है. इन राज्यों में प्रचंड जीत के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद हैं. चुनाव के नतीजों को लेकर कांग्रेस में मंथन जारी है. अब विपक्षी गठबंधन इंडिया (INDIA Alliance) के भविष्य पर भी सवाल उठ रहा है. इंडिया गठबंधन में शामिल दल ही सवाल उठा रहे हैं कि जब राष्ट्रीय स्तर का गठबंधन बनाया गया तो कांग्रेस ने इन राज्यों में अकेले चुनाव क्यों लड़ा? ये भी कहना है कि अगर कांग्रेस अन्य दलों को साथ लेकर चुनाव लड़ती, तो नतीजे कुछ और होते. अब कांग्रेस के सीनियर नेता ने बताया है कि आखिर पार्टी ने इन तीनों राज्यों में गठबंधन के बजाय अकेले चुनाव लड़ने का फैसला क्यों किया था.
 

सीनियर कांग्रेस नेता मनिकम टैगोर ने गठबंधन के महत्व को समझाने की कोशिश की. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी की करारी हार के एक दिन बाद मनिकम टैगोर ने NDTV से बातचीत में कहा, "पार्टी के केंद्रीय नेता गठबंधन की जरूरत को समझते हैं. लेकिन हिंदी पट्टी में राज्य स्तर के नेताओं को गठबंधन को समझने की जरूरत है. हालांकि, ऐसा मध्य प्रदेश या राजस्थान जैसे राज्यों की राजनीति के बाइनरी नेचर के कारण है."

कांग्रेस नेता मनिकम टैगोर ने कहा, ''कांग्रेस के लिए गठबंधन के महत्व को समझना मुश्किल है, क्योंकि एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान जैसे राज्यों में गठबंधन की राजनीति नहीं है. वहां पार्टी अकेले चुनाव लड़ती और जीतती आई है.''

उन्होंने कहा, "तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में स्थिति इससे अलग है. वहां हम गठबंधन की राजनीति के महत्व को जानते हैं. अन्य राज्यों में इसमें बहुत समय लगता है. गठबंधन से ऐसा लगता है जैसे हम अपनी सीटों का त्याग कर रहे हैं. राज्य स्तर के नेताओं को गठबंधन की अहमियत समझने की जरूरत है."

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मनिकम टैगोर इस बात पर भी जोर दिया कि कांग्रेस को ट्रैक रिकॉर्ड या दूसरे पैरामीटर के आधार पर टिकट देने के बजाय किसी उम्मीदवार की संभावनाओं पर रिसर्च करने के बाद ही उसे चुनाव का टिकट देना चाहिए. मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी को सीटें न देने पर कांग्रेस की तीखी आलोचना हुई थी. उन्होंने राजस्थान में सीपीएम के साथ भी सहयोग नहीं किया था.

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सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश में सीट बंटवारे के प्रस्ताव पर कमलनाथ की नकारात्मक प्रतिक्रिया को भी जोर-शोर से उठाया था. मध्य प्रदेश में गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ना INDIA अलायंस का एक पायलट प्रोजेक्ट था. हालांकि, ये संभव न हो पाया.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख और  INDIA अलायंस के सदस्य उमर अब्दुल्ला भी कांग्रेस की हार के बीच की वजह बताते हैं. उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, "कांग्रेस मध्य प्रदेश में जमीनी हालात को समझ नहीं पाई. अगर उन्होंने अखिलेश यादव को 5-7 सीटें दे दी होती, तो क्या नुकसान हो सकता था? क्या तूफान आ सकता था? अब उन्होंने क्या जीता? नतीजे सबके सामने हैं." उन्होंने कहा, "राज्य चुनावों में INDIA गठबंधन के नतीजों को देखते हुए, अगर भविष्य में स्थिति ऐसी रही तो हम कभी जीत नहीं सकते."

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क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस राज्य विधानसभा चुनावों में INDIA गठबंधन के साथ चुनाव लड़ेगी? इस पर उमर अब्दुल्ला ने कहा, "एनसी अपने दम पर खड़ी होगी".

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इससे पहले बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कांग्रेस की हार की वजहें बताई थीं. उन्होंने कहा था, "कांग्रेस ने तेलंगाना जीत लिया है. वो मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान भी जीत गए होते, अगर कुछ वोट INDIA गठबंधन की पार्टियों ने न काटे होता. यह सच है... ऐसा हुआ है. हमने सीट-बंटवारे की व्यवस्था का सुझाव दिया था. लेकिन कांग्रेस राजी नहीं हुई. ऐसे में वे वोट विभाजन के कारण हार गए."

करारी हार के बाद कांग्रेस ने 6 नवंबर को INDIA गठबंधन की बैठक बुलाई है. यह बैठक नई दिल्ली में होगी. हालांकि, टीएमसी के सूत्रों के मुताबिक, ममता बनर्जी इस मीटिंग में शामिल नहीं होंगी.

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