दिल्ली निवासी बुजुर्ग गुल शिवदासानी का कहना है कि 85 वर्ष एवं उससे अधिक उम्र के लोगों और 40 प्रतिशत से अधिक विकलांगता वाले लोगों के लिए निर्वाचन आयोग की ‘घर से मतदान' योजना एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन वह मतदान केंद्र पर जाकर वोट डालने को ही तरजीह देंगे.
शिवदासानी के लिए मतदान नागरिक के नाते एक कर्तव्य से कहीं अधिक है. यह उनके लिए व्यापक समुदाय के साथ जुड़ने का एक अवसर है. वह नियमित चिकित्सकीय जांच कराने या त्योहारों के दौरान ही घर से बाहर जा पाते हैं.
शिवदासानी ने कहा, ‘‘मतदान केंद्र में जाना उन कुछ अवसरों में से एक है, जब मैं अपने घर के बाहर जाकर अन्य लोगों के साथ बातचीत कर पाता हूं.'' निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए ‘घर से मतदान' योजना का अनावरण किया था जिससे 85 वर्ष एवं उससे अधिक आयु के नागरिक और 40 प्रतिशत से अधिक विकलांगता वाले लोगों को मदद मिलेगी.
शिवदासानी ने अपने आयु वर्ग के कई लोगों की भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘यह एक सराहनीय निर्णय है लेकिन मैं अब भी मतदान केंद्र पर जाकर अपना वोट डालना पसंद करता हूं.'' उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा हो सकता है घर पर मेरे बच्चे मेरे निर्णय को प्रभावित कर दें लेकिन मतदान केंद्र पर मैं अपनी पसंद के अनुसार वोट देने के लिए आश्वस्त रहता हूं.''
शिवदासानी की हिचकिचाहट इस पहल के प्रति बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं द्वारा अपनाए गए सतर्क रुख को दर्शाती है. अलीगढ़ में रहने वाली शबनम बेगम दिव्यांग होने के कारण व्हीलचेयर का सहारा लेती हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मतदान एक अत्यंत व्यक्तिगत विषय है और मैं मतदान केंद्र में जाकर वोट डालने के अनुभव को महत्व देती हूं. (ऐसी योजनाओं के जरिए ) अनुचित प्रभाव की भी आशंका है.''
कार्यकर्ताओं का मानना है कि अधिकतर दिव्यांग और बुजुर्ग लोग मतदान केंद्र जाकर ही मतदान करना पसंद करेंगे लेकिन उनका यह भी कहना है कि कुछ लोगों को उनकी गंभीर स्थिति के कारण इस सुविधा की आवश्यकता है.
दिव्यांगजन अधिकार राष्ट्रीय मंच (एनपीआरडी) के महासचिव मुरलीधरन ने कहा, ‘‘जागरूकता बढ़ाने के लिए अधिक ठोस प्रयास जरूरी हैं.'' हालांकि, हर कोई इस योजना के बारे में शिवदासानी की तरह आशंकित नहीं है.
नोएडा निवासी 90 वर्षीय फिरोजा जहां पक्षाघात से पीड़ित हैं, जिसके कारण वह तीन दशक से अधिक समय से वोट नहीं डाल सकीं. उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने योजना के बारे में सुना, तो मैं यह सोचकर बहुत खुश हुई कि मैं भी मतदान कर सकूंगी. हालांकि मुझे प्रक्रिया को समझने में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन मैंने पंजीकरण करा लिया है और (मतदान करने के) अवसर का उत्सुकता से इंतजार कर रही हूं.''
दिव्यांगजन अधिकार कार्यकर्ता डॉ. सतेंद्र सिंह ने प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा कि संबंधित बूथ स्तर का अधिकारी उस मतदाता से संपर्क करेगा, जिसने योजना के तहत मतदान के लिए आवेदन किया है. सिंह ने कहा कि दो चुनाव अधिकारियों, एक वीडियोग्राफर और एक सुरक्षाकर्मी की एक टीम एसएमएस के जरिए पूर्व सूचना देकर निर्धारित समय और तारीख पर मतदाता के आवास पर जाएगी.
एजवेल फाउंडेशन के संस्थापक-अध्यक्ष हिमांशु राहा ने कहा कि बुजुर्गो की संख्या का पता लगाना एक चुनौती है. लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से शुरू होकर एक जून तक सात चरण में होंगे. मतों की गिनती चार जून को होगी.