- फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जवाद अहमद सिद्दीकी पर विदेश में बेटे की कंपनी में निवेश का शक है
- ईडी को शक है कि जवाद ने यूनिवर्सिटी में धांधली का पैसा बेटे की कंपनी में निवेश किया है. एजेंसी जांच कर रही है
- अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जवाद अहमद सिद्दीकी को ईडी ने गिरफ्तार किया है
दिल्ली में लाल किला ब्लास्ट के बाद जांच के घेरे में आई फरीदाबाद की अल फ़लाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जवाद अहमद सिद्दीकी पर विदेशी कनेक्शन का नया आरोप लगा है. उनके ऊपर UK में बेटे के नाम पर कंपनी खोलने और यूनिवर्सिटी में धांधली का पैसा बेटे की कंपनी में लगाने का शक है. आरोप सामने आने के बाद ईडी ने जवाद के बेटे की कंपनी में पैसों के इनवेस्टमेंट की जांच करने का फैसला किया है.
जवाद अहमद सिद्दीकि पर लोगों को गुमराह करके करोड़ों रुपये कमाने का आरोप है. उन्होंने अपने बेटे को ब्रिटिश नागरिकता दिला रखी है. उसकी एक कंपनी भी वहां पर खुलवाई है. ऐसे आरोप हैं कि अल फलाह यूनिवर्सिटी में गड़बड़ी से इकट्ठा किए गए पैसों को वह बेटे की कंपनी में निवेश करते थे. ईडी अब बेटे की कंपनी में पैसों के इनवेस्टमेंट की जांच करेगी.
अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जवाद अहमद सिद्दीकी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था. उनकी गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की गई है. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के आधार पर ईडी ने जांच शुरू की थी. एफआईआर में आरोप है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी ने छात्रों और पैरेंट्स को धोखा देने के लिए धोखे से NAAC मान्यता होने का दावा किया था जबकि यूनिवर्सिटी को यूजीसी से भी मान्यता नहीं थी.
ईडी की जांच से पता चला है कि 1995 में स्थापित अल फलाह ट्रस्ट के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं थे, इसके बावजूद 1990 के दशक से अब तक उसने जबरदस्त विस्तार किया. जांच में यह भी पाया गया कि ट्रस्ट ने अपनी कमाई को पारिवारिक संस्थाओं में लगाया. निर्माण और खानपान के ठेके परिवार के सदस्यों की संस्थाओं को दिए गए.
अल फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक जवाद अहमद सिद्दीकी की भूमिका को लेकर सुरक्षा एजेंसियों को कई सबूत मिले हैं. ये उनके द्वारा पारिवारिक कार्यों में धन के हेरफेर और अपराध की आय को छुपाने के पैटर्न को साफ दिखाते हैं. पिछले बुधवार को दिल्ली की अदालत ने जवाद अहमद सिद्दीकी को 13 दिनों के लिए ईडी की कस्टडी में भेजने का निर्देश दिया था.
ईडी का अदालत में कहना था कि सिद्दीकी के परिवार के करीबी सदस्य खाड़ी देशों में बसे हैं, ऐसे में जमानत मिली तो वह भी देश छोड़कर फरार हो सकता है. ईडी ने अदालत को बताया था कि सिद्दीकी ने अपने ट्रस्ट द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों के साथ बेईमानी से कम से कम 415 करोड़ रुपये की आय अर्जित की. हालांकि सिद्दीकी के वकील ने दिल्ली पुलिस की दोनों एफआईआर को झूठा और मनगढ़ंत बताते हुए झूठा फंसाने का आरोप लगाया था.













