Rajya Sabha elections: महाराष्ट्र सरकार के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh)और मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) की राज्यसभा चुनाव में वोट डालने की अर्जी पर सेशन कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अर्जी का विरोध किया है.मामले में पक्ष रखते हुए एडीशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) अनिल सिंह ने कहा, " दो अलग-अलग प्रकार के हालात हैं. एक प्रतिबंधात्मक और दूसरी नायायिक आदेश के कारण जेल में हैं. प्रतिबंधात्मक में आपके पास अलग-अलग वैधानिक अधिकार हैं और जेल में आपके पास सीमाओं के साथ अलग-अलग अधिकार हैं. जेल में आपको कुछ अधिकारों से वंचित किया जाता है.
ASG ने SC के कुछ आदेशों का हवाला दे रहे हैं जिसमें कहा गया है कि राज्यसभा चुनाव में मतदान करना मौलिक अधिकार नहीं है. ASG अनिल सिंह ने ये भी दलील दी कि ये मामला पूरी तरह से जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 62(5) के तहत आता है. राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति के चुनाव या विधानसभा और लोकसभा की कार्यवाही में शामिल होने के लिए जेल में बंद किसी व्यक्ति को कोर्ट में अनुमति दी है तो उसे इस केस से जोड़कर नहीं देखा जा सकता क्योंकि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव एक अलग कानून का तहत होता है. साथ ही विधानसभा और लोकसभा की कार्यवाही में शमिल होने के लिए भी जनप्रतिनिधित्व कानून की जरूरत नहीं पड़ती है जबकि राज्यसभा का चुनाव पूरी तरह जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत ही कराया जाता है इसलिए इस कानून के तहत देखना जाना चाहिए.वरिष्ठ वकील अमित देसाई ने कोर्ट में नवाब मलिक का पक्ष रखा.
गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में गिरफ्तार किए गए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता अनिल देशमुख (71) और मनी लांड्रिंग के मामले में न्यायिक हिरासत में हैं तथा शहर की ऑर्थर रोड जेल में बंद हैं. धनशोधन के मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की जा रही है. दूसरी ओर, दाऊद इब्राहिम से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में नवाब मलिक की गिरफ्तारी की गई है. नवाब मलिक पर आरोप है कि उन्होंने मुंबई के कुर्ला स्थित मुनिरा प्लंबर की 300 करोड़ रुपए की जमीन 30 लाख रुपए में खरीदी थी और उसमें भी पेमेंट 20 लाख रुपए का किया गया था. इस जमीन के मालिक को एक रुपया नहीं दिया गया. बल्कि उनसे ये जमीन पॉवर ऑफ एटॉर्नी के जरिए अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से संबंधित और मुंबई बम ब्लास्ट के आरोपी व्यक्तियों के नाम करवाई गई. इसके बाद नवाब मलिक के बेटे फराज मलिक के नाम ये जमीन ले ली गई. इसके बदले में दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर के खाते में पचास लाख रुपए ट्रांसफर किए गए.
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