- प्रवर्तन निदेशालय ने इंदौर में फर्जी लिकर चालान घोटाले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है
- आरोपियों ने चालान में रुपये के शब्द खाली छोड़कर फर्जी दस्तावेज बनाकर सरकारी नुकसान पहुंचाया है
- यह घोटाला लगभग उन सरकारी चालानों में हेराफेरी से जुड़ा है जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है
49 करोड़ रुपये के फेक लिकर चालान घोटाले में ED ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जानकारी के मुताबिक इंदौर में प्रवर्तन निदेशालय ने अंश त्रिवेदी और राजू दशवंत को को गिरफ्तार किया है. यह कार्रवाई लिकर फेक चालान स्कैम से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत की गई है.
ED ने यह जांच रावजी पुलिस स्टेशन, इंदौर में दर्ज FIR के आधार पर शुरू की थी. जिसमें कुछ शराब ठेकेदारों पर लगभग ₹49.42 करोड़ का सरकारी नुकसान पहुंचाने का आरोप है. इन ठेकेदारों ने सरकारी ट्रेजरी चालानों में हेराफेरी की थी. वे चालान में रुपये शब्दों में वाला हिस्सा खाली छोड़कर जमा कर देते थे और बाद में पैसा बढ़ाकर फर्जी चालान तैयार कर लेते थे.
इन फर्जी चालानों को सरकारी दस्तावेज़ की तरह दिखाकर उन्होंने एक्साइज ड्यूटी, लाइसेंस फीस या मिनिमम गारंटी की रकम चुकाने का झूठा सबूत पेश किया. इसी के आधार पर उन्हें गैरकानूनी NOC और शराब के लाइसेंस मिल गए. ED की जांच में अंश त्रिवेदी और राजू दशवंत को इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड पाया गया है. दोनों ने मिलकर यह फर्जी चालान बनाने और सरकारी दस्तावेज़ों में हेराफेरी करने की साजिश रची.
दोनों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 8 अक्टूबर 2025 तक ED की कस्टडी में भेज दिया गया है. ED अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस फर्जीवाड़े में कितने और ठेकेदार या अधिकारी शामिल हैं और कितनी रकम मनी लॉन्ड्रिंग के ज़रिए घुमाई गई.
सरकारी चालानों से लेकर शराब के लाइसेंस तक, हर स्तर पर हेराफेरी का यह घोटाला राज्य सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाने वाला है. ED की जांच जारी है, आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे हो सकते हैं.