नेपाल में एक बार फिर भूकंप के झटके (Earthquake tremors) महसूस किए गए. इसका असर दिल्ली एनसीआर में भी देखने को मिला. आज आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.6 बतायी गई है. गौरतलब है कि पिछले एक सप्ताह में नेपाल सहित कई जगहों पर भूकंप के झटके आए हैं. नेपाल में पिछले शुक्रवार को आए भूकंप में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग प्रभावित हुए थे. बताते चलें कि नेपाल दुनिया के सबसे सक्रिय टेक्टोनिक क्षेत्रों में से एक में स्थित है जो इसे भूकंप के प्रति बेहद संवेदनशील बनाता है.
ऐसे भूकंप से खतरा कम किया जा सकता है
भूकंप के बारे में सटीक पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता. अब सबसे महत्वपूर्ण सवाल ये है कि अगर भूकंप सचमुच आ ही जाए, तो हमें क्या करना चाहिए, या क्या ऐसा है, जो हमें हरगिज़ नहीं करना चाहिए. इस वजह से विशेषज्ञ बीच-बीच में ऐसे उपाय सुझाते रहे हैं, जिनसे भूकंप के बाद होने वाले खतरों को काफी हद तक कम किया जा सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार नुकसान को कम करने और जान बचाने के लिए कुछ तरकीबें हैं, जिनसे काफी मदद मिल सकती है. इसीलिए आप भी यह उपाय जान लीजिए.
भूकंप आने के वक्त यदि आप घर से बाहर हैं तो कैसे करें बचाव
- ऊंची इमारतों, बिजली के खंभों आदि से दूर रहें.
- जब तक झटके खत्म न हों, घर-ऑफिस से बाहर ही रहें.
- चलती गाड़ी में होने पर जल्द गाड़ी रोक लें, और गाड़ी में ही बैठे रहें.
- ऐसे पुलों या सड़कों पर जाने से बचें, जिन्हें भूकंप से नुकसान पहुंचा हो.
भूकंप आने के वक्त यदि आप घर में हैं, तो कैसे करें बचाव
- फर्श पर बैठ जाएं, मज़बूत टेबल या किसी फर्नीचर के नीचे पनाह लें.
- टेबल न होने पर हाथ से चेहरे और सिर को ढक लें.
- घर के किसी कोने में चले जाएं, और कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें...
- बिस्तर पर हैं, तो लेटे रहें, तकिये से सिर ढक लें.
- आसपास भारी फर्नीचर हो, तो उससे दूर रहें.
- लिफ्ट का इस्तेमाल करने से बचें, लिफ्ट भूकंप के दौरान पेंडुलम की तरह हिलकर दीवार से टकरा सकती है, और बिजली जाने से रुक भी सकती है.
- सीढ़ियों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि आमतौर पर इमारतों में बनी सीढ़ियां मज़बूत नहीं होतीं.
- झटके आने तक घर के अंदर ही रहें, और झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें.
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