रिहायशी इलाके में ड्रम बजाने का अभ्यास 30 साल के पृथ्वी मंगिरी और उनके परिवार वालो को महंगा पड़ा. लगातार ड्रम की सुबह शाम आती आवाज़ से पड़ोसी जब तंग आ गए तो मामला पुलिस स्टेशन पहुंचा. दक्षिण बेंगलुरु के बनरगट्टा इलाके में रहने वाले पृथ्वी मंगिरी के पास अभ्यास रोकने के इलावा कोई दूसरा चारा नही था, लेकिन उनकी लग्न देखकर परिवार के बुजुर्ग पृथ्वी के दादा के राजन ने उनका उत्साह बढ़ाया और फिर एक रास्ता निकल आया. जिस कमरे में वो अभ्यास करते थे उसे साउंड प्रूफ बनाया गया ताकि आवाज़ बाहर ना जाए. लेकिन साउंड प्रूफिंग की वजह से कमरे का तापमान बढ़ा तो उस जगह की एयर कंडीशनिंग करवाई गई. लेकिन जब बिजली का बिल आया तो तकरीबन 1500 रुपये से बढ़कर ये 7 हज़ार रुपये के आसपास पहुंच चुका था. यानी हर महीने चारगुना से भी ज्यादा.
पृथ्वी के दादा के राजन के मुताबिक, "मैंने पृथ्वी से कहा कि निराश ना हो, सौर्य ऊर्जा इसका विकल्प हो सकता है." अब एक नई जद्दोजहद शुरू हुई. दादा-पोते ने बैंगलोर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी लिमिटेड के सौर्य ऊर्जा कार्यक्रम का हिस्सा बनने की ठानी.
कितने किलोवाट का पैनल लगना है ये BESCOM तय करता. पृथ्वी की ज़रूरत के मुताबिक़ उन्हें 5 किलोवाट सोलर जनरेशन पैनल लगाने की इजाज़त दी गई. तक़रीबन 6 लाख रुपये की लागत से तक़रीबन ढाई साल पहले पृथ्वी ने छत पर 15 पैनल लगवाए.
अब पृथ्वी मंगिरी खुश हैं. उनका कहना है, "5 किलोवाट बिजली हम इन पैनल्स के ज़रिए हर महीने पैदा करते हैं हमारी ज़रूरत ढाई से 3 किलोवाट की ही होती है, बाकी हम BESCOM को बेच देते हैं. इसके लिए BESCOM 7 रुपये प्रति यूनिट की दर से पृथ्वी से बिजली खरीदता है. एयरकंडीशंड रूम में लगन के साथ किया गया अभ्यास रंग लाया. अब भी बिजली का बिल 6 से 7 हज़ार रुपये महीने का आता है, लेकिन इससे थोड़ा ज्यादा का सरप्लस बिजली वो BESCOM को बेचते है जो कि उनके बिल से 400 से 600 रुपये ज्यादा होता है, यानी बिजली के बिल का बोझ तो हटा ही साथ में थोड़ी ही सही आमदनी भी हो रही है हर महीने."
जिस रूम में पृथ्वी अभ्यास करते थे अब वो अब "Bread and Jam" नाम के स्टूडियो का रूप ले चुका है, जहां फिल्मी गानों के साथ-साथ एजुकेशनल प्रोग्राम्स की भी रिकॉर्डिंग होती है.
पृथ्वी मंगिरी के छत पर लगे पैनल्स 25 से 30 साल काम करेंगे. जो पड़ोसी कल तक नाराज़ थे अब उन्हें कोई शिकायत नहीं. उनकी पड़ोसी अनीता चौधरी को अब कोई शिकायत नहीं है. वो कहती हैं, "अब आवाज़ नही आती. दरअसल हमारे फर्स्ट फ्लोर पर जो किरायेदार थे उन दिनों उनका बच्चा छोटा था. वो तेज़ आवाज़ से जग जाता फिर सभr को परेशान करता था, उन्हें ज्यादा परेशानी होती थी."