उत्तराखंड में पेयजल का संकट, राज्य को बने  24 साल ; नहीं है कोई ग्राउंडवाटर पॉलिसी

उत्तराखंड में भीषण गर्मी पड़ रही है जिससे तापमान लगातार ऊपर चढ़ रहा है और बढ़ते तापमान के साथ पेयजल संकट भी तेजी से बढ़ रहा है उत्तराखंड में 400 से ज्यादा ऐसी बस्तियां है जहां लगातार पीने की पानी की समस्या बनी हुई है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

उत्तराखंड में  गंगा, यमुना ,अलकनंदा,भागीरथी  जैसी दर्जनों बड़ी नदियां हैं लेकिन फिर भी इन दिनों उत्तराखंड में सैंकड़ो बस्तियों में पानी की किल्लत हो रही है और  आम लोग पीने के पानी की परेशानी जूझ रहे हैं. हालत तो ये है कि लोगों का सब्र टूट रहा है क्योंकि कई दिनों से लोगों के घरों में पानी नहीं आ रहा है और पानी के लिए अब लोगों को अधिकारियों के आगे मटके लेकर धरने प्रदर्शन तक करना पड़ रहा हैं.

उत्तराखंड में ग्राउंडवाटर पॉलिसी नहीं?

उत्तराखंड को बने 24 साल हो गए हैं लेकिन उत्तराखंड में ग्राउंडवाटर को लेकर कोई पॉलिसी नहीं आई है केंद्रीय जल आयोग की पॉलिसी पर ही काम हो रहा है पर राज्य के पास अपनी एक कोई ठोस ग्राउंडवाटर को लेकर कोई पॉलिसी नहीं है न सिर्फ राज्य में आम लोग बोरिंग कर  पानी का उपयोग कर रहे हैं बल्कि कमर्शियल अपार्टमेंट और उद्योगों में भी इसका कोई नियम या फिर कोई ऐसा टैक्स नहीं है जो राज्य के राजस्व में बढ़ोतरी करें . और इस बेरोकटोक पर लगाम लगा सके. उत्तराखंड में न सिर्फ अंडरग्राउंड वॉटर को ट्यूबवेल के जरिए निकाला जा रहा है बल्कि अवैध बोरवेल बनाकर पानी निकाला जा रहा है.

अब सरकार एक्शन में

लगातार उत्तराखंड में हो रही पानी की कमी को देखते हुए राज्य सरकार ने अब ग्राउंडवाटर पॉलिसी पर काम करने की बात कही है सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता जयपाल सिंह का कहना है कि ग्राउंड वॉटर पॉलिसी को लेकर ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है और इसको संबंधित विभागों को भेजा गया है.

Advertisement

जयपाल सिंह का कहना है कि सेंटर ग्राउंडवाटर बोर्ड की तरह ही स्टेट ग्राउंडवाटर बोर्ड का ड्राफ्ट तैयार किया है, इसमें वॉटर टैक्स किस तरह लिया जाएगा और कैसे इसका प्रारूप होगा उसको तैयार कर शासन को भेज दिया गया है लेकिन जयपाल सिंह नेगी का यह भी कहना है कि उत्तराखंड में चार ऐसे ब्लॉक है जो क्रिटिकल है जहां पर ग्राउंडवाटर काफी निचले स्तर पर चला गया है.

Advertisement

बहादराबाद, भगवानपुर, काशीपुर और हल्द्वानी ऐसे इलाके हैं जो क्रिटिकल सिचुएशन में आते हैं इसके अलावा अभी फिलहाल अन्य जगहों पर स्थिति ठीक बताई जा रही है लेकिन राज्य में कई ऐसे स्रोत है जहां पानी काफी नीचे चला गया है या फिर उन प्राकृतिक स्रोतों में पानी नहीं है.

Advertisement

राज्य में बूंद-बूंद के लिए तरस रहे लोग

उत्तराखंड में भीषण गर्मी पड़ रही है जिससे तापमान लगातार ऊपर चढ़ रहा है और बढ़ते तापमान के साथ पेयजल संकट भी तेजी से बढ़ रहा है उत्तराखंड में 400 से ज्यादा ऐसी बस्तियां है जहां लगातार पीने की पानी की समस्या बनी हुई है और इसकी सबसे बड़ी वजह अप्रैल और मई के महीने में बारिश का नहीं होना है तो इसके अलावा जून में भी लगभग अभी तक यही हाल है की बारिश नहीं है. तो दूसरा सबसे बड़ा कारण  ग्राउंड वॉटर के लेवल का भी काफी कम होना बताया जा रहा है 
देहरादून की अगर बात करें तो देहरादून के क्षेत्र में भी इस वक्त पानी की समस्या कई क्षेत्रों में है देहरादून के राजपुर क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में पानी वाले स्रोत में पानी बहुत काम आ रहा है जिसकी वजह से क्षेत्र में पानी की सप्लाई की टाइमिंग पहले दो बार पानी दिया जाता था जिसको अब एक बार कर दिया गया है जल संस्थान के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर संजय सिंह कहते हैं कि शिखर फॉल से 15 एमएलडी पानी प्राप्त किया जाता था लेकिन बारिश नहीं होने की वजह से मात्र 10 एमएलडी पानी ही मिल पा रहा है इसके अलावा अंडरग्राउंड वाटर का लेवल भी काफी नीचे चला गया है जिससे उन माध्यमों से भी पानी देने की समस्या उत्पन्न हो गई है

Advertisement
Featured Video Of The Day
Top News Of The Day 14 June 2025: Air India Plane Crash | Dreamliner Plane Crash | Israel Iran War