सपने वो हैं जो नींद उड़ा देते हैं ... स्पाइन के सर्जनों को संबोधित करते हुए बोले गौतम अदाणी

अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने शुक्रवार को मुंबई में स्पाइन सर्जनों के एक सम्मेलन को संबोधित किया. इसमें उन्होंने 'मुन्नाभाई एमबीबीएस' की अपनी पसंदीदा फिल्म बताया. उन्होंने कहा कि सपने वो नहीं हैं, जो नींद में आते हैं, बल्कि सपने वो हैं जो नींद उड़ा देते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

गौतम अदाणी ने डॉक्टर्स को किया संबोधित

फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने SMISS-AP के वार्षिक सम्मेलन में डॉक्टर्स को किया संबोधित.
  • गौतम अदाणी ने कहा, ''हेल्थ इन्फ्रस्ट्रक्चर बेहतर करना जरूरी है. इसके लिए हम आपकी मदद करेंगे.''
  • गौतम अदाणी ने इस सम्मेलन में अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा, ''मैं बिना डिग्री, नौकरी या बैकअप के मुंबई आया था.''
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही? हमें बताएं।
मुंबई:

मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी के एशिया-पैसिफिक (SMISS-AP) के 5वें वार्षिक सम्मेलन को अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने शुक्रवार को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने डॉक्टर्स की अहमियत बताई. उन्होंने कहा, '' ये मेरा सौभाग्य है कि मैं आपके सामने खड़ा हूं और सबसे अच्छे भारतीय डॉक्टर्स को संबोधित कर रहा हूं. आप जो काम कर रहे हैं उसके लिए मैं आपको सैल्यूट करता हूं. आपकी मानवता आपकी काबिलियत के बारे में बताती है. ये विश्व को ताकत और मजबूती देती है. आप भले ही स्पाइन के डॉक्टर हैं पर मरीजों के लिए आप इससे भी बढ़कर हैं. आपसे ही आशा है.''

गौतम अदाणी के भाषण की प्रमुख बातें

  • 'मुन्नाभाई MBBS' मेरी ऑलटाइम फेवरिट मूवी है. कॉमिडी के लिए नहीं, बल्कि उसमें दिए गए मैसेज के लिए. उसमें मुन्नाभाई लोगों को दवा नहीं, इंसानियत से ठीक करते हैं.
  • मुन्नाभाई ने कहा था जादू की झप्पी हो या सर्जरी का स्कैल्पल, दोनों में एक ही बात होती है, वह है इंसानियत. 
  • सपने वो नहीं हैं, जो नींद में आते हैं, सपने वो हैं जो नींद उड़ा देते हैं.
  • मुन्नाभाई फिल्म में बापू ने कहा था, ''बदलाव लाना है तो सोच बदलनी होगी.''

 गौतम अदाणी के फेवरेट मूवी कौन सी है 

गौतम अदाणी ने कहा, ''मैं आपसे कुछ पर्सनल बातें शेयर करता हूं. मेरी फेवरेट मूवी मुन्ना भाई एमबीबीएस है. सिर्फ हंसी के लिए नहीं पर एक मैसेज के लिए. मुन्नभाई केवल दवाइयों से मरीजों को ठीक ही नहीं करते थे बल्कि इंसानियत से वो इलाज करते थे. ये हमें सर्जरी से इतर इलाज की याद दिलाता है. ठीक होना एक उम्मीद और मानवता है. जैसा कि मुन्नाभाई ने कहा था कि जादू की झप्पी हो या सर्जरी का स्कैल्पल दोनों में एक ही बात होती है और वो है इंसानियत. 

अदाणी ने बताया, ''मैंने इस भरोसे की वजह से 16 साल की उम्र में एक बड़ा फैसला लिया. मैंने ट्रेन के सेकेंड क्लास का एक टिकट खरीदा और मुंबई के लिए निकल पड़ा. मेरे पास कोई डिग्री, जॉब और बैकअप नहीं था. बस था तो कुछ कर दिखाने का जोश. आखिर में किसी चीज को दिल से चाहो तो, पूरी कायनात तुमसे मिलाने की साजिश में लग जाती है.''

Advertisement

अपने अबतक के सफर के बारे में उन्होंने कहा, ''सपने वो नहीं जो नींद में आते हैं, सपने वो हैं जो नींद उड़ा देते हैं. मुंबई में सेटल होने के बाद, मैं अहमदाबाद भाई की पीवीसी फिल्म फैक्ट्री चलाने के लिए वापस गया, ये बात साल 1981 की है. इन सभी अनुभवों ने मेरी सोच को हमेशा के लिए बदल दिया.'' 

Advertisement

'बापू ने कहा था बदलाव लाना है तो सोच बदलनी होगी'

अदाणी ने बदलाव पर कहा, ''मुन्नाभाई फिल्म की सबसे गहरी बातों में से एक ये है कि बापू ने कहा था बदलाव लाना है तो सोच बदलनी होगी. साल 1985 में श्री राजीव गांधी हमारे देश के प्रधानंत्री थे. उन्होंने लाइसेंस प्रक्रिया में सुधार कर इकॉनमी के लिब्राइजेशन का काम किया. ये एक छोटा पर अच्छा रिफार्म था.''

Advertisement

उन्होंने कहा, ''साल 1991 में भारत को सबसे बुरे दिनों का सामना करना पड़ा, तब हमारे पास आयात के लिए केवल 10 दिनों का ही विदेशी मुद्रा भंडार था."

Advertisement

ये भी पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर से भारत को कोई नुकसान नहीं हुआ: NSA अजीत डोभाल

Topics mentioned in this article