सतह से हवा में मार करने वाली आकाश-एमके-1ए मिसाइल का परीक्षण, देखें तस्वीरें

सोमवार को ओडिशा के चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज से आकाश-एमके-1ए प्रक्षेपास्त्र का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. रक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी दी.

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आकाश मिसाइल क परीक्षण DRDO ने किया है
नई दिल्ली:

सोमवार को ओडिशा के चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज से आकाश-एमके-1ए प्रक्षेपास्त्र का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. रक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी दी. सतह से हवा में मार करने वाले इस विमानरोधी प्रक्षेपास्त्र की मारक क्षमता 25 किलोमीटर तक है और यह अपने साथ 60 किलो तक आयुध ले जाने में सक्षम है. इस प्रक्षेपास्त्र का 25 और 27 मई को परीक्षण किया गया. रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से 25 और 27 मई को सफलतापूर्वक आकाश-एमके-1एस का सफलतापूर्वक परीक्षण किया.” गौरतलब है कि भारत में रक्षातंत्र को मजबूत करने के लिए लगातार उन्नत किस्म की मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है. इससे पहले बीते अप्रैल को खबर आई थी कि ऑपरेशन  'मिशन शक्ति'  के तहत भारत ने 27 मार्च को ओडिशा के कलाम द्वीप से एक एंटी सैटेलाइट मिसाइल के जरिए अंतरिक्ष में अपने एक सैटेलाइट को मार गिराया. इस सफल परीक्षण से भारत दुनिया की अंतरिक्ष महाशक्तियों के क्‍लब में शामिल हो गया था जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्‍ट्र के नाम संबोधन में की थी. वीडियो में तस्‍वीरों और ग्राफिक्‍स की एक सीरीज के जरिए पूरे मिशन को दर्शाया है, क्रियान्वयन से लेकर सैटेलाइट को मार गिराने तक. टारगेट को 10 सेंटीमीटर की सटीकता के साथ 283 किलोमीटर की ऊंचाई मार गिराया गया था.

(आकाश मिसाइल का परीक्षण)
(25 किलोमीटर तक कर सकती है मार)

इंटरसेप्‍टर मिसाइल के तीन स्‍टेज होते हैं जिसमें से दो ठोस रॉकेट बूस्‍टर और एक किल व्‍हीकल  होता है जो निशाने को नष्‍ट करने के लिए इस्‍तेमाल होता है. वीडियो में मिसाइल के लिए इस्‍तेमाल की गई आधुनिक तकनीक को विस्‍तार से दिखाया गया है. वीडियो के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में डीआरडीओ को 'चुनौतीपूर्ण तकनीक' पर काम करने का निर्देश दिया था और 2016 में इस मिशन को उन्‍होंने हरी झंडी दी थी. इसके लिए डीआरडीओ और राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बीच कई दौर की बैठक हुई थी.

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मिसाइल की 10 किमी प्रति सेकण्ड से ज्यादा रफ्तार को संभालने के लिए उन्नत तकनीक वाले मल्टी स्टेज इंटरसेप्टर को कॉन्फ़िगर किया गया था. इस मिशन के बार में देश के बहुत कम लोगों को ही जानकारी थी. हालांकि इस पर पूरे देश के करीब 150 वैज्ञानिक काम कर रहे थे. पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में इस उपलब्धि की जानकारी देते हुए बताया था कि भारत की यह कार्रवाई किसी देश के खिलाफ नहीं बल्कि यह देश की क्षमता का एक परीक्षण है. 

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