देश में पिछले सप्ताह से कोरोना के 17 लाख ताजा केस सामने आए हैं, हालांकि अस्पताल में भर्ती होने की दर, दूसरी लहर की तरह नहीं है. कोरोना के दूसरी लहर के दौरान तो स्वास्थ्य सेक्टर पर इतना दबाव बढ़ गया था कि अस्पताल में बेड कम पड़ गए थे. कोरोना के मामलों में यह इजाफा मुख्य रूप से ओमिक्रॉन के कारण है, कोविड का यह नया वेरिएंट पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है. NDTV ने पिछले सात दिनों के हॉस्पिटलाइजेशन के आंकड़ों का विश्लेषण किया तो पता चला कि मुंबई और दिल्ली में अस्पताल की जरूरत महसूस करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि देखी गई (सूची में देखे) हालांकि केसों में लगातार कमी आती गई.
भारत की वित्तीय राजधानी में 11 जनवरी से 17 जनवरी के बीच केसों की संख्या में कमी आई है. 11 जनवरी को शहर में 11,647 कोरोना केस दर्ज हुए थे जो कि कम होकर 6,149 पर आ गए हैं. इसी अवधि के दौरान दिल्ली में 11 जनवरी को 19 हजार से ज्यादा केस दर्ज (हॉस्पिटलाइजेशन 2.88%) किए गए थे, यह संख्या 17 जनवरी को कम होते हुए 11,684 (हॉस्पिटलाइजेशन 3.19%) पर आ गई है.
राष्ट्रीय राजधानी के दो नजदीक के शहरों-गुड़गांव और नोएडा में भी समान स्थिति (similar curve)देखी गई. यूपी के नोएडा में हॉस्पिटलाइजेशन रेट 11 जनवरी को 0.65 % था जो सोमवार को बढ़कर 0..89% तक पहुंच गया. यूपी में विधानसभा चुनाव के लिए फरवरी-मार्च में वोट डाले जाने हैं. उधर, हरियाणा के गुड़गांव में इसमें 0 .04% का फर्क था. 11 जनवरी को यह 0.65% था जो 17 जनवरी को बढ़कर 0.69% हो गया.
NDTV से बात करते हुए कोविड पर मुंबई के नगरीय निकाय के सलाहकार डॉ. मुजफ्फर लकड़ावाला ने कहा, 'एक तरफ तो असिम्पटोमेटिक (बिना लक्षण वाले) केसों में आइसोलेशन के लिए अस्पताल में भर्ती हैं. उदाहरण के तौर पर झुग्गी बस्ती में रहने वाले खुद को आइसोलेट नहीं कर सकते.दूसरी तरह के वे लोग हैं जो 60 वर्ष से ऊपर के हैं और गंभीर बीमारी (comorbidities)से पीड़ित हैं. ' कोलकाता में 11 से 17 जनवरी के बीच हॉस्पिटलाइजेशन रेट में दिल्ली, मुंबई, नोएडा और गुड़गांव से अलग ट्रेड हैं. यहां 11 जनवरी को हॉस्पिटलाइजेशन रेट 3.27% था जो 17 जनवरी को कम होकर 2.21% पर आ गया. 11 राज्यों में वीकली पॉजिटिविटी रेट, राष्ट्रीय औसत 15.2% फीसदी से ज्यादा है. गोवा (36.1 प्रतिशत) इस मामले में पहले स्थान पर है, उसके बाद पश्चिम बंगाल (31.5 प्रतिशत) का स्थान आता है.