अंग दान करना और जैव विविधता की रक्षा करना एक तरह की देशभक्ति : मोहन भागवत

मोहन भागवत ने कहा, यदि हम ‘ब्रेन-डेड’ स्थिति में रहते हैं, और हमारे अन्य अंग सामान्य रूप से काम कर रहे हैं, तो ऐसे अंगों का उपयोग अन्य जीवित मनुष्यों के लिए करना हमारा मानव धर्म है

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत (फाइल फोटो).
सूरत:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने बुधवार को कहा कि देश की जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के साथ-साथ अंग दान करना एक तरह की देशभक्ति है. गुजरात के सूरत में एक सभा को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, ‘‘मानव शरीर का उपयोग जीना और दूसरों के लिए मरना है.''

उन्होंने कहा कि देश में कई लोग इसलिए परेशान होते हैं क्योंकि पैसा खर्च करने के बावजूद उन्हें वर्षों तक स्वस्थ अंग नहीं मिल पाते हैं. भागवत ने कहा, ‘‘एक स्वतंत्र देश में, देशभक्ति का एक पहलू सार्वजनिक जीवन के नियमों का पालन करना है...कानून का उल्लंघन नहीं करना या इसे अपने हाथ में नहीं लेना और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी शिकायतों को व्यक्त करना है. हालांकि दूसरा पहलू देश के हर किसी के दर्द को साझा करना है क्योंकि वे सभी हमारे अपने हैं.''

अंगदान देशभक्ति का काम

वह अंगदान के क्षेत्र में काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन ‘डोनेट लाइफ' द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित कर रहे थे. भागवत ने सवाल किया, ‘‘इसलिए, अंगदान देशभक्ति का काम है, देशभक्ति का एक रूप है. यदि मैं अपने अंग उन लोगों को दान करने का फैसला करता हूं जिनका जीवन प्रभावित है क्योंकि उनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया है, तो उन्हें दान क्यों न करूं क्योंकि मैं अब अधिक समय तक जीवित नहीं रहूंगा?''

भागवत ने कहा, ‘‘यदि हम ‘ब्रेन-डेड' स्थिति में रहते हैं, और हमारे अन्य अंग सामान्य रूप से काम कर रहे हैं. तो ऐसे अंगों का उपयोग अन्य जीवित मनुष्यों के लिए करना हमारा मानव धर्म है.'' उन्होंने कहा कि अपना 'स्वयं' दान करने से वह व्यक्ति भगवान बन जाता है.

पीड़ितों को पैसे खर्च करने के बावजूद अंगों के लिए करना पड़ता है इंतजार

भागवत ने इस बात पर खेद जताया कि देश में कई लोग पीड़ित हैं क्योंकि उन्हें पैसे खर्च करने के बावजूद अंग प्राप्त करने के लिए वर्षों तक प्रतीक्षा सूची में रहना पड़ता है.

उन्होंने कहा, ‘‘इंग्लैंड और अमेरिका हमारे देश की जरूरतों को पूरा नहीं करने वाले हैं. कदम दर कदम हम इन दिनों अपनी जरूरतों को पूरा करने के बाद दुनिया की जरूरतों को पूरा करने की राह पर हैं....यदि हम स्वयं को इस देश का नागरिक कहते हैं, तो हमारा जीवन भी ऐसा ही होना चाहिए.''

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भागवत ने कहा कि लोगों को अंग दान करने का अपना संकल्प नहीं भूलना चाहिए. उन्होंने कहा, 'अपने अंगों को स्वस्थ रखना भी हमारी जिम्मेदारी है क्योंकि प्रतिज्ञा लेने के बाद हमारा शरीर अपना नहीं रह जाता.'

भारत ने कोविड-19 महामारी से बहुत अच्छी तरह से लड़ाई लड़ी

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान, देश को अपने पैरों पर खड़ा करने में हर किसी ने अपनी क्षमता से कुछ न कुछ योगदान दिया. उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने कोविड-19 महामारी से बहुत अच्छी तरह से लड़ाई लड़ी और उसे हराया.''

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आरएसएस प्रमुख ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में लोगों को अपने देश को स्वयं ही एक स्वरूप देना चाहिए और अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र और समृद्ध रखना एक तरह की देशभक्ति है. उन्होंने कहा कि देशभक्ति का दूसरा पहलू देश की जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना और उन्हें बढ़ावा देना है.

भागवत ने कहा, 'हालांकि सबसे महत्वपूर्ण पहलू जो किसी देश को राष्ट्र के रूप में आकार देता है, वह लोग हैं. लोगों का मतलब है वे लोग जो मातृभूमि के बेटे होने के गुण के कारण एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और भाईचारा साझा करते हैं.''

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