ट्रंप ने पुतिन के साथ खेला गजब माइंडगेम, ये वीडियो देख आप भी समझ जाएंगे पूरी कहानी

अलास्का में ट्रंप का माइंडगेम एक गहरा और प्रतीकात्मक संदेश था. ट्रंप ने शायद यही दिखाना चाहा कि भले ही रूस भी सैन्य शक्ति में कम नहीं, लेकिन तकनीक, आधुनिक हथियारों और वैश्विक शक्ति प्रदर्शन में अमेरिका उससे आगे है.  

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  • अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की हालिया मुलाकात में सैन्य शक्ति का प्रदर्शन भी दिखा.
  • ट्रंप ने पुतिन के सामने B-2 स्टील्थ बॉम्बर सहित आधुनिक अमेरिकी युद्धक विमानों का जोरदार फ्लाई-ओवर कराया.
  • अमेरिका और रूस, दोनों दुनिया की दो महाशक्ति देश हैं, लेकिन अमेरिका साबित करना चाहता है कि वो सबसे आगे है.
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निलेश कुमार | दुनिया के दो सबसे शक्तिशाली देशों के सुप्रीम नेता, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई हालिया मुलाकात सिर्फ एक कूटनीतिक बैठक नहीं थी, बल्कि ये एक चतुर और गहरी रणनीतिक चाल का हिस्सा भी थी. इस मुलाकात के दौरान काफी कुछ ऐसा हुआ, जो किसी हॉलीवुड फिल्म के दृश्य से कम नहीं था. अब नीचे एक वीडियो ही देख लीजिए, जब अलास्का में राष्ट्रपति ट्रंप ने काफिले में सवार रूसी राष्ट्रपति पुतिन को अमेरिकी सैन्य शक्ति दिखाई और इससे कुछ ही क्षण पहले ही एक B-2 स्टील्थ बॉम्बर उनके सिर के ऊपर से गुजरा था. ये एक ऐसा 'माइंडगेम' था, जिसको लेकर जानकारों का मानना है कि ट्रंप ने पुतिन को अमेरिका की सैन्य ताकत का एहसास कराना चाहा.  

नीचे सैन्‍य विमान, ऊपर B-2 बॉम्बर

अलास्का के एंकरेज शहर में स्थित ज्वाइंट बेस एल्मेंडॉर्फ-रिचर्डसन में जैसे ही राष्ट्रपति पुतिन का विमान लैंड हुआ और वह राष्ट्रपति ट्रंप से मिलने के लिए अपने वाहन से उतर रहे थे, तो आसमान में एक अभूतपूर्व नजारा दिखा. अमेरिकी वायुसेना के सबसे आधुनिक और खतरनाक युद्धक विमानों का एक समूह, जिसमें B-2 स्टील्थ बॉम्बर और F-22, F-35 जैसे फाइटर जेट्स शामिल थे, उनके सिर के ऊपर से गुजरा. ये सिर्फ एक फ्लाई-ओवर नहीं था, बल्कि एक जोरदार सैन्य प्रदर्शन था. नीचे सेना के विमान भी तैनात थे. 

इस घटना ने सभी का ध्यान खींच लिया. हालांकि, आधिकारिक तौर पर यह स्पष्ट नहीं किया गया कि यह प्रदर्शन पुतिन के स्वागत के लिए था या उनकी सुरक्षा के लिए, लेकिन जानकार इसे ट्रंप की एक सोची-समझी रणनीति मानते हैं. यह पुतिन को अमेरिका की हवाई ताकत का एहसास कराने का एक सीधा और प्रभावी तरीका था. इस समूह में B-2 स्टील्थ बॉम्बर का शामिल होना खासकर एक बड़ा संदेश था. यह विमान इतना उन्नत है कि रडार पर इसका पता लगाना लगभग असंभव है, और यह परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. इस प्रदर्शन से अमेरिका ने यह संकेत दिया कि उसके पास ईरान जैसे देशों के साथ-साथ रूस के ठिकानों पर भी हमला करने की क्षमता है.

मुलाकात में गर्मजोशी, मनोवैज्ञानिक दबाव 

यह मुलाकात लगभग छह साल बाद हुई थी, और दोनों नेताओं का एक ही कार में बैठकर गंतव्य की ओर जाना गर्मजोशी को दर्शाता था, लेकिन इस गर्मजोशी के बीच अमेरिकी सैन्य शक्ति का यह प्रदर्शन एक विरोधाभास पैदा कर रहा था. यह एक तरह का मनोवैज्ञानिक दबाव था.

ट्रंप ने बिना एक शब्द कहे, पुतिन के सामने अमेरिकी सैन्य श्रेष्ठता को साबित करने की कोशिश की. ये माइंडगेम इस विचार पर आधारित था कि भले ही रूस एक महाशक्ति है, अमेरिका उससे भी ऊपर है.

ट्रंप की नीतियों को देखते हुए ये कदम बिलकुल उनके अंदाज में था, जिसका उद्देश्य वैश्विक मंच पर अमेरिकी प्रभुत्व को फिर से स्थापित करना था.

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कैसी रही ट्रंप-पुतिन की मीटिंग?

  • अलास्का में दोनों नेताओं के बीच मीटिंग के बाद पुतिन ने दावा किया कि यूक्रेन को लेकर 'सहमति' बनी है साथ ही उन्होंने यूरोप को चेतावनी दी कि वो प्रगति में कोई बाधा नहीं डाले. हालांकि पुतिन के दावे के बाद ट्रंप ने कहा 'जब तक कोई समझौता नहीं हो जाता जब तक कुछ भी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता.'
  • ट्रंप ने कहा कि वह पुतिन और उनके बीच हुई बातचीत की जानकारी देने के लिए यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं को बुलाएंगे. उन्‍होंने कहा- 'हमारी बैठक अच्‍छी रही, कई मुद्दों पर सहमति बनी है कुछ बचे हैं. कुछ उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं. एक सबसे महत्वपूर्ण है और इस बात की संभावना है कि हम उसे भी सुलझा लेंगे.' वहीं पुतिन ने कहा कि ट्रंप इस बात को समझते हैं कि रूस के अपने हित हैं.

अमेरिका बनाम रूस: सैन्‍य शक्ति 

ट्रंप के माइंडगेम को बेहतर समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि दुनिया की दो सबसे शक्तिशाली सैन्य शक्तियों, अमेरिका और रूस के बीच कैसा पावर बैलेंस है. ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2024 की मानें तो अमेरिका दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश है, जबकि रूस दूसरे स्थान पर है. हालांकि, कुछ मामलों में रूस का पलड़ा भारी है, लेकिन समग्र रूप से अमेरिका की सैन्य ताकत बेजोड़ मानी जाती है.

अमेरिकी रक्षा बजट 820 बिलियन डॉलर है, जो रूस के रक्षा बजट ($126 बिलियन) से कई गुना अधिक है. ये भारी बजट अमेरिका को अनुसंधान, विकास और नई तकनीक पर अधिक निवेश करने की अनुमति देता है, जिससे उसकी सैन्य क्षमता लगातार बढ़ती रहती है.

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सक्रिय सैनिक और रिजर्व सैनिक  

कुल सैनिकों की संख्या में दोनों देशों में ज्यादा अंतर नहीं है. अमेरिका के पास 13,28,000 सक्रिय सैनिक हैं, जबकि रूस के पास 13,20,000 हैं. हालांकि, रिजर्व सैनिकों के मामले में रूस बहुत आगे है, जिसके पास 20 लाख रिजर्व सैनिक हैं, जबकि अमेरिका के पास 7,99,500 हैं.

अमेरिका-रूस की जमीनी ताकत

जमीनी युद्ध के साजो-सामान में रूस की संख्यात्मक श्रेष्ठता स्पष्ट दिखती है. रूस के पास 14,777 टैंक हैं, जबकि अमेरिका के पास 4,657 हैं. इसी तरह, रॉकेट लॉन्चरों की संख्या में भी रूस (3,065) अमेरिका (694) से काफी आगे है. यह दर्शाता है कि रूस की जमीनी सेना बड़े पैमाने के युद्ध के लिए तैयार है.

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हवा में कौन है ज्‍यादा ताकतवर 

वायुसेना के मामले में अमेरिका का वर्चस्व बेजोड़ है. अमेरिका के पास कुल 13,209 विमान हैं, जबकि रूस के पास केवल 4,255 हैं. फाइटर जेट्स की संख्या में भी अमेरिका (1,854) रूस (809) से दोगुने से भी ज्यादा है. B-2, F-22 और F-35 जैसे विमान अमेरिका को एक तकनीकी और रणनीतिक बढ़त देते हैं, जो दुनिया में किसी और देश के पास नहीं है.

समंदर में भी अमेरिका आगे 

नौसेना के मामले में भी अमेरिका की ताकत अद्वितीय है. भले ही कुल बेड़े की संख्या में रूस (781) अमेरिका (472) से आगे है, लेकिन यह संख्या छोटे जहाजों जैसे कॉर्बेट की वजह से है. सबसे महत्वपूर्ण बात, अमेरिका के पास 11 एयरक्राफ्ट कैरियर हैं, जबकि रूस के पास केवल एक है. इसके अलावा, अमेरिका के पास 9 हेलीकॉप्टर कैरियर और 75 विध्वंसक पोत हैं, जबकि रूस के पास एक भी नहीं है. यह समुद्री शक्ति अमेरिका को दुनिया के किसी भी कोने में अपनी ताकत दिखाने की क्षमता देती है.

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स्‍पष्‍ट है कि अलास्का में ट्रंप का माइंडगेम एक गहरा और प्रतीकात्मक संदेश था. ट्रंप ने शायद यही दिखाना चाहा कि भले ही रूस भी सैन्य शक्ति में कम नहीं, लेकिन तकनीक, आधुनिक हथियारों और वैश्विक शक्ति प्रदर्शन में अमेरिका उससे आगे है.  

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