- डोनाल्ड ट्रंप ने अपने करीबी सर्जियो गोर को भारत का अमेरिकी राजदूत नियुक्त किया है
- सर्जियो गोर ने व्हाइट हाउस में काम किया है और ट्रंप से सबसे भरोसेमंद साथियों में से एक हैं
- भारत-अमेरिका के संबंध तनावपूर्ण हैं, खासतौर पर भारत पर टैरिफ लगाने और रूस से व्यापार को लेकर मतभेदों के कारण
US Ambassador Sergio Gor: भारत और अमेरिका के रिश्तों में आई कड़वाहट के बीच डोनाल्ड ट्रंप अपने सबसे करीबी शख्स को भारत भेजने की तैयारी कर रहे हैं. व्हाइट हाउस के डायरेक्टर ऑफ प्रेसिडेंशियल पर्सनल सर्जियो गोर को भारत में अमेरिका का राजदूत नियुक्त किया गया है. पिछले कई महीने से ये पद खाली था और भारत में अमेरिका का कोई राजदूत तैनात नहीं था. अब ट्रंप के इस फैसले को कई तरह से देखा जा रहा है और कहा जा रहा है कि इससे भारत-अमेरिका के रिश्ते एक बार फिर पटरी पर लौट सकते हैं. आइए समझते हैं कि भारत के लिए इसमें क्या संकेत छिपे हैं और कैसे ये ट्रंप की रणनीति का एक हिस्सा है.
कौन हैं सर्जियो गोर?
सर्जियो गोर डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी कैंपेनिंग के दौर से ही जुड़े थे, ट्रंप के पक्ष में माहौल बनाने में गोर का काफी अहम रोल था. यही वजह है कि उन्हें ट्रंप का काफी करीबी माना जाता है, खुद ट्रंप भी ये बात कह चुके हैं. जीतने के बाद ट्रंप ने सर्जियो को व्हाइट हाउस के डायरेक्टर ऑफ प्रेसिडेंशियल पर्सनल पद पर नियुक्त किया था.
- सर्जियो गोर का जन्म उज्बेकिस्तान के ताशकंद में हुआ था.
- 12 साल की उम्र में 1999 में वो अपने परिवार के साथ अमेरिका आ गए थे.
- जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से सर्जियो ने पढ़ाई पूरी की और इसके बाद पॉलिटिक्स में एक्टिव हो गए.
- सर्जियो गोर ने कई रिपब्लिकन सांसदों के साथ प्रवक्ता के तौर पर काम किया और फिर ट्रंप के साथ जुड़ गए.
सर्जियो के भारत आने का मतलब
सर्जियो गोर के राजदूत बनकर भारत आने के कई मायने हो सकते हैं. 39 साल के सर्जियो की नियुक्ति ऐसे वक्त में हो रही है, जब भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते बुरे दौर से गुजर रहे हैं. ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया है, जो 27 अगस्त से लागू हो जाएगा.
भारत की चीन और रूस से करीबी है वजह?
अमेरिका के तल्ख रवैये और भारत को लेकर लगातार उनकी बयानबाजी के बाद से ही भारत ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. भारत अब चीन से अपने रिश्ते बैलेंस कर रहा है, साथ ही यूरोपियन यूनियन और रूस के साथ भी ट्रेड को लेकर बातचीत हो रही है. इससे भी ट्रंप असहज दिख रहे हैं, माना जा रहा है कि वो भारत का एक हाथ छोड़ने के बाद अब दूसरा हाथ पकड़ने की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि चीन को काउंटर करने के लिए भारत ही अमेरिका का सबसे बड़ा सहारा है. यही वजह है कि वो दिल्ली में अपने भरोसेमंद साथी को बिठाकर भारत को बड़ा मैसेज देने की तैयारी कर रहे हैं.
पाकिस्तान का एंगल भी आया सामने
सर्जियो गोर सिर्फ भारत में अमेरिका के राजदूत बनकर नहीं आएंगे, उन्हें स्पेशल एनवॉय फॉर साउथ एंड सेंट्रल एशियन अफेयर्स की जिम्मेदारी भी सौंपी जा रही है. यही वजह है कि कुछ लोग इस नियुक्ति को पाकिस्तान एंगल से भी देख रहे हैं.
भारत-अमेरिका रिश्तों में कैसे घुली कड़वाहट?
भारत और अमेरिका की दोस्ती में बीते कुछ महीनों में काफी कुछ बदल चुका है. जहां पिछले कुछ सालों में भारत और अमेरिका के रिश्तों में गहराई आई थी और कई चीजों को लेकर दोनों देश सहमत थे, वहीं अब इसके ठीक उलट अमेरिका और भारत एक दूसरे के सामने खड़े हैं.
रूस के साथ व्यापार: भारत की दूसरे देशों खासतौर पर रूस के साथ नजदीकी और व्यापार से ट्रंप खुश नहीं हैं, इसीलिए वो भारत को लेकर कड़े फैसले ले रहे हैं. रूस से तेल खरीदने के मामले को ट्रंप बड़ा मुद्दा बना चुके हैं.
एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर की डील: भारत ने कृषि और डेयरी सेक्टर को लेकर अमेरिका के समझौते पर हामी नहीं भरी थी, ये भी ट्रंप की नाराजगी की बड़ी वजह बनी. अमेरिका अपने डेयरी और एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स को भारत में लाने की तैयारी कर रहा था, लेकिन भारत सरकार ने किसानों और दूध का व्यापार करने वाले लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए इससे इनकार कर दिया.
ब्रिक्स देशों को धमकी: भारत-अमेरिका के रिश्तों में कड़वाहट की एक वजह ब्रिक्स को भी बताया गया. ब्रिक्स में भारत चीन, रूस, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, ईरान, इथियोपिया, इंडोनेशिया, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात शामिल है. ये तमाम देश डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं, जिससे अमेरिका को नुकसान होगा. यही वजह है कि ट्रंप भारत समेत बाकी ब्रिक्स देशों को पूरी तरह व्यापार खत्म करने की धमकी देते रहे हैं.