भारतीय विदेश मंत्रालय ने रविवार को कहा है कि विदेशी दूतावासों को ऑक्सीजन सहित आवश्यक आपूर्तियों को जमा करके नहीं रखना चाहिए. दरअसल, कई दूतावासों ने विपक्षी कांग्रेस से मदद की गुहार की है, जबकि समूचा देश कोरोनावायरस महामारी से जूझ रहा है, और स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है.
विदेश मंत्रालय ने कहा, "चीफ ऑफ प्रोटोकॉल्स एंड हेड्स ऑफ डिवीज़न्स लगातार सभी दूतावासों, उच्चायोगों के संपर्क में हैं, तथा विदेश मंत्रालय कोविड संबंधी मांगों सहित उनकी सभी मेडिकल मांगों पर जवाब दे रहा है... इसमें अस्पतालों में इलाज भी शामिल है... महामारी के हालात को देखते हुए सभी से आग्रह है कि ऑक्सीजन सहित आवश्यक आपूर्तियों को जमा करके नहीं रखें..."
यह टिप्पणी मीडिया के उन सवालों के जवाब में आई है, जो न्यूज़ीलैंड उच्चायोग द्वारा कांग्रेस की युवा शाखा को मेडिकल ऑक्सीजन की मांग के लिए भेजे गए संदेश के बाद किए गए थे. इसी तरह की एक मांग फिलीपीन्स दूतावास ने भी एक दिन पहले की थी.
न्यूज़ीलैंड उच्चायोग ने जल्द ही अपना ट्वीट डिलीट कर दिया, और यह अंदाज़ा लगाया जाने लगा कि ऐसा सरकार के दवाब में किया गया है, लेकिन कांग्रेस ने सिलेंडरों की डिलीवरी करते अपने कार्यकर्ताओं की तस्वीरें सोशल मीडिया पर फैला दीं.
उच्चायोग ने एक अन्य ट्वीट में कहा, "हम सभी स्रोतों से ऑक्सीजन सिलेंडरों का इंतज़ाम करने की कोशिश कर रहे हैं, और हमारी अपील को दुर्भाग्य से गलत समझा गया, जिसके लिए हम क्षमा चाहते हैं..."
भारतीय युवक कांग्रेस ने मेडिकल ऑक्सीजन की डिलीवरी को लाइव-ट्वीट किया, और कहा कि भीतर मौजूद मरीज़ 'गंभीर रूप से बीमार' था.
इसके बाद बहुत सवाल किए जा रहे हैं कि क्या न्यूज़ीलैंड उच्चायोग ने सरकार के दवाब में ट्वीट को डिलीट किया, क्योंकि उनका वह ट्वीट सरकार के लिए शर्मिन्दगी का बायस बन सकता था.
इससे एक ही दिन पहले, फिलीपीन्स के दूतावास ने भी कांग्रेस से इसी तरह की मांग की थी, जिसे उन्होंने पूरा किया था.
इसकी वजह से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश तथा विदेशमंत्री एस. जयशंकर के बीच काफी बहस भी हुई थी.