उत्तर प्रदेश में डीएनए को लेकर सियासत गरम हो रही है. लखनऊ में आज फिर ब्रजेश पाठक के समर्थन में पोस्टर लगे हैं. पोस्टर पर लिखा है- गुंडागर्दी पर आज गई DNA रिपोर्ट. यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और अखिलेश यादव में से विवाद पिछले एक हफ्ते से चला आ रहा है. कुछ दिन पहले भी ब्रजेश पाठक के समर्थन में लखनऊ में पोस्टर लगे थे, जिस पर समाजवादी पार्टी ने आपत्ति जताई थी. सोशल मीडिया से शुरू हुई ये लड़ाई सड़कों पर आ गई है.
इससे पहले अखिलेश से माफी मांगने की मांग
कुछ दिनों पहले लखनऊ में कई चौक-चौराहों पर अखिलेश यादव माफ़ी मांगों के पोस्टर लग गए थे. अखिलेश यादव के घर के आस पास भी ऐसे होर्डिंग्स लगे थे. बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने सड़क किनारे माहौल बना दिया है. कोशिश ये बताने की है कि समाजवादी पार्टी के लोग गुंडागर्दी करते हैं. गाली गलौज करते हैं. माफ़ी तो गलती करने पर होती है. बीजेपी ने यूपी में घोषणा कर दी है कि अखिलेश ने गलती की है. गलती प्रदेश पाठक से पंगा लेकर. तो माफ़ी तो मांगनी ही पड़ेगी. सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक लंबे पोस्ट में पाठक ने दावा किया कि यादव ने अपनी सोशल मीडिया टीम द्वारा लिखे गए 'गृह विज्ञान-शैली के शोध प्रबंध' को साझा करके सपा की वैचारिक जड़ों पर उनके पहले के सवालों को टाल दिया है. पाठक ने कहा, 'आपने मेरे सवाल के जवाब में अपनी टीम से लंबी चौड़ी थीसिस लिखवा दी और सोशल मीडिया पर पोस्ट भी कर दी. पर मेरी आपको सलाह है कि बच्चों से लिखवाई इस तरह की थीसिस को पोस्ट करने से पहले एक बार पढ़ जरूर लिया करें.'
कहां से शुरू हुआ विवाद...?
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और अखिलेश यादव के बीच विवाद सपा के आधिकारिक ‘एक्स' हैंडल से पाठक पर लक्षित एक आलोचनात्मक टिप्पणी पोस्ट करने के बाद शुरू हुआ था. बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हस्तक्षेप किया था और सोशल मीडिया पर सपा की 'अभद्र भाषा' की निंदा की और सार्वजनिक चर्चा में शिष्टाचार बनाए रखने का आग्रह किया. अखिलेश यादव ने पहले पाठक की टिप्पणियों को खारिज करते हुए उन्हें चाटुकार कहा था और आरोप लगाया था कि जो लोग अपनी पार्टी में कोई महत्व नहीं रखते, वे भड़काऊ बयान देकर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं. उन्होंने पाठक की भाजपा के प्रति निष्ठा पर भी सवाल उठाया और कहा कि वह बहुजन समाज पार्टी ये आए हैं. अखिलेश यादव ने अपने प्रस्तावित पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठबंधन के माध्यम से सामाजिक न्याय की राजनीति की अपील की थी, साथ ही पाठक से ‘परिपक्व और विनम्र' होने और अपनी राजनीतिक स्थिति पर विचार करने का आग्रह किया था.