कांग्रेस पार्टी (Congress) में संगठनात्मक बदलाव को लेकर पत्र लिखने वाले 23 असंतुष्ट नेताओं का समूह आखिरकार सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मुलाकात कर सकता है. सूत्रों का कहना है कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamanath) ने इस बैठक के आयोजन में अहम भूमिका निभाई है.
23 नेताओं ने पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन सभी बैठक में नहीं होंगे. 5 या 6 नेताओं के एक मुख्य समूह द्वारा व्यापक चिंताओं का प्रतिनिधित्व करने की संभावना है, ऐसा माना जाता है. सूत्रों के मुताबिक, यह बैठक शनिवार को होगी, सुलह की दिशा में कदम उठाए जाएंगे. यह स्पष्ट नहीं है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा मौजूद रहेंगे या नहीं. लेकिन कांग्रेस का दावा है कि यह केवल सोनिया गांधी और असंतुष्ट नेताओं के बीच की बैठक नहीं है; अन्य जो पत्र के लिए हस्ताक्षरकर्ता नहीं थे, वे भी इसमें उपस्थित होंगे.
सूत्रों के अनुसार, कमलनाथ ने तथाकथित असंतुष्ट नेताओं के कारण का समर्थन किया है, जिन्होंने पार्टी के पतन पर चिंता व्यक्त की थी और अगस्त में एक पत्र में "सक्रिय और वर्तमान नेतृत्व" के लिए कहा था. यह एक समूह द्वारा अवहेलना का एक आश्चर्यजनक कार्य था जिसमें पार्टी के सबसे वरिष्ठ रक्षक और प्रवक्ता शामिल थे.
सूत्रों ने बताया कि वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के कारण मध्य प्रदेश में सत्ता गंवाने वाले कमलनाथ ने पत्र लिखने वाले नेताओं से मिलने के लिए गांधी परिवार को मनाने में भूमिका निभाई है. अब तक, उन्होंने असंतुष्टों से दूरी बना रखी थी.
लेटर बम गिराए जाने के तुरंत बाद, कुछ "असंतुष्ट", जैसे गुलाम नबी आज़ाद को सोनिया गांधी से मिलने समय नहीं दिया गया था. इसके अलावा आज़ाद और एक अन्य पत्र लेखक मुकुल वासनिक को भी कांग्रेस की एक ऑनलाइन बैठक में गांधी परिवार की मौजूदगी में नाराजगी का सामना करना पड़ा था.
हाल ही में, बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद एक असंतुष्ट नेता ने फिर से भड़कने की धमकी दी थी. पत्र लेखकों में से एक, कपिल सिब्बल ने अपने गुस्से को यह कहते हुए सार्वजनिक किया कि "आत्मनिरीक्षण का समय समाप्त हो गया है."
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उनके बाद, पी चिदंबरम जैसे अन्य पार्टी नेताओं ने भी "व्यापक समीक्षा" की बात कही और सुझाव दिया था कि पार्टी को अपने मूल को मजबूत करने की आवश्यकता है.
नए साल में पार्टी का नया प्रमुख चुनने में लगी कांग्रेस में गर्माहट के संकेत उभरे हैं. पिछले साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की लगातार दूसरी हार पर राहुल गांधी द्वारा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था.