जनप्रतिनिधियों और नागरिकों के बीच सीधा संवाद ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया की आत्मा है: ओम बिरला

लोकसभा अध्यक्ष ने सभी जनप्रतिनिधियों से आह्वान किया कि वे सदन में अपने आचरण से गरिमा और मर्यादा बनाए रखें. हंगामे, गतिरोध और बार-बार स्थगन से लोकतंत्र को केवल आघात पहुंचता है और जनता का नुकसान होता है.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
ओम बिरला का बड़ा बयान
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • ओम बिरला ने संसद और विधानसभाओं में सार्थक संवाद और स्वस्थ बहस की परंपरा को प्रोत्साहित करने पर ज़ोर दिया
  • उन्होंने संविधान सभा की बहसों का उदाहरण देते हुए कहा कि गहन चर्चा से हमारा संविधान समावेशी और दूरदर्शी बना
  • ओम बिरला ने सभी जनप्रतिनिधियों से सदन में गरिमा और मर्यादा बनाए रखने का आह्वान किया
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस बात पर ज़ोर दिया कि लोकतंत्र में जनता का विश्वास तभी मज़बूत होगा जब संसद और विधानसभाओं में सार्थक संवाद और स्वस्थ बहस की परंपरा को प्रोत्साहित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में संवाद की संस्कृति हजारों वर्षों से हमारी परंपरा का हिस्सा रही है, जिसे हमारे संविधान ने और अधिक मज़बूती प्रदान की. उन्होंने संविधान सभा की बहसों का उल्लेख करते हुए कहा कि जब हर शब्द और अनुच्छेद पर गहन चर्चा हुई थी, उसी कारण हमारा संविधान समावेशी और दूरदर्शी बन सका. उन्होंने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत और सबसे जीवंत संविधान; “भारत का संविधान” है. हमारे संविधान निर्माताओं के प्रयासों से भारत अनेक विविधताओं के बावजूद एकजुट है.

लोकसभा अध्यक्ष ने सभी जनप्रतिनिधियों से आह्वान किया कि वे सदन में अपने आचरण से गरिमा और मर्यादा बनाए रखें. हंगामे, गतिरोध और बार-बार स्थगन से लोकतंत्र को केवल आघात पहुंचता है और जनता का नुकसान होता है. उन्होंने कहा कि सभी दलों को इस पर आत्ममंथन करना चाहिए कि बहस और संवाद से ही समाधान निकलता है. विधानमंडलों में सत्रों की घटती संख्या, चर्चा का सीमित समय और लगातार व्यवधान पर चिंता व्यक्त करते हुए लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि हमें अपनी बहस की संस्कृति को और सशक्त बनाना होगा. उन्होंने कहा कि भारत की जनता हमसे शोर नहीं, समाधान चाहती है. यदि हमारी बहस रचनात्मक होगी तो हमारे कानून बेहतर होंगे, हमारे कानून बेहतर होंगे तो शासन सशक्त होगा, और यदि शासन सशक्त होगा तो जनता का विश्वास अटूट रहेगा.

गौरतलब है कि राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) लगभग 180 राष्ट्रमंडल सांसदों/विधान मंडलों का एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सीपीए भारत क्षेत्र की कार्यकारी समिति के पदेन अध्यक्ष हैं। भारत सीपीए का 9वां क्षेत्र है, व देश के सभी 31 राज्य व संघ राज्य क्षेत्र शाखाएं भारत क्षेत्र के अंतरगत शामिल हैं.
कर्नाटक, बेंगलुरू में आयोजित हो रहे इस तीन दिवसीय 11वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र सम्मेलन का मुख्य विषय “विधायी संस्थाओं में संवाद और चर्चा, जन विश्वास का आधार, जन आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम” रखा गया है.

Featured Video Of The Day
Pakistan vs Afghanistan: अब बूंद-बूंद को तरसेगा पाकिस्तान! अब अफगानिस्तान भी करेगा पानी बंद
Topics mentioned in this article