लाल किले से तिरंगे को नहीं हटाया, वह एक प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन था : दीप सिद्धू

लालकिले पर प्रदर्शनकारियों द्वारा धार्मिक झंडा फहराए जाने की घटना के दौरान अभिनेता दीप सिद्धू मौजूद थे, प्रदर्शनकारियों के कृत्य का बचाव किया

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अभिनेता दीप सिद्धू ने लाल किले पर झंडा फहराने वालों का बचाव किया है.
चंडीगढ़:

गणतंत्र दिवस (Republic Day) के मौके पर ट्रैक्टर परेड (Tractor Parade) के दौरान लालकिले (Red Fort) पर प्रदर्शनकारियों द्वारा धार्मिक झंडा फहराए जाने की घटना के दौरान मौजूद रहे अभिनेता दीप सिद्धू (Deep Sidhu) ने मंगलवार को प्रदर्शनकारियों के कृत्य का यह कहकर बचाव किया कि उन लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया और केवल एक प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर ‘निशान साहिब' को लगाया था. ‘निशान साहिब' सिख धर्म का प्रतीक है और इस झंडे को सभी गुरुद्वारा परिसरों में लगाया जाता है.

सिद्धू ने फेसबुक पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में दावा किया कि वह कोई योजनाबद्ध कदम नहीं था और उन्हें कोई साम्प्रदायिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए जैसा कट्टरपंथियों द्वारा किया जा रहा है. सिद्धू ने कहा, ‘‘नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराने के लिए, हमने ‘निशान साहिब' और किसान झंडा लगाया और साथ ही किसान मजदूर एकता का नारा भी लगाया.''

उन्होंने ''निशान साहिब'' की ओर इशारा करते हुए कहा कि झंडा देश की ‘‘विविधता में एकता'' का प्रतिनिधित्व करता है. ''निशान साहिब'' सिख धर्म का एक प्रतीक है जो सभी गुरुद्वारा परिसरों में लगा देखा जाता है. उन्होंने कहा कि लालकिले पर ध्वज-स्तंभ से राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया गया और किसी ने भी देश की एकता और अखंडता पर सवाल नहीं उठाया.

विभिन्न दलों के नेताओं ने लाल किले पर हिंसा की घटना की निंदा की है. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने घटना का एक वीडियो साझा करते हुए ट्वीट किया कि वह शुरुआत से ही किसान प्रदर्शन का समर्थन कर रहे हैं लेकिन अराजकता स्वीकार नहीं कर सकते.

पिछले कई महीनों से किसान आंदोलन से जुड़े सिद्धू ने कहा कि जब लोगों के वास्तविक अधिकारों को नजरअंदाज किया जाता है तो इस तरह के एक जन आंदोलन में ‘‘गुस्सा भड़क उठता है.'' उन्होंने कहा,‘‘आज की स्थिति में, वह गुस्सा भड़क गया.''

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सिद्धू अभिनेता सनी देओल के सहयोगी थे जब अभिनेता ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान गुरदासपुर सीट से चुनाव लड़ा था. भाजपा सांसद ने पिछले साल दिसंबर में किसानों के आंदोलन में शामिल होने के बाद सिद्धू से दूरी बना ली थी.

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे नेताओं में से एक एवं स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि ‘‘हमने सिद्धू को शुरू से ही अपने प्रदर्शन से दूर कर दिया था.''

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