Dhanteras पर देशभर में जबरदस्त खरीदारी, करीब 1 लाख करोड़ रुपए के व्यापार होने का अनुमान

Dhanteras 2025: कैट के अनुसार धनतेरस पर देशभर में 1 लाख करोड़ रुपए के बड़े व्यापार का अनुमान है.

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Dhanteras 2025: भारत का प्रत्येक त्योहार अपने आप में विशेष महत्व रखता है, लेकिन धनतेरस की प्रमुखता कुछ अलग ही है. इस दिन पूरे देश में लोग सोना–चांदी, बर्तन और रसोई का सामान एवं उपकरण, वाहन, झाड़ू, इलेक्ट्रॉनिक के साथ इलेक्ट्रिकल चीजें, दिवाली पूजन हेतु लक्ष्मी- गणेश जी, मिट्टी के दिए तथा अन्य पूजन सामग्री सहित वस्तुएं खरीदते हैं, जिन्हें धनतेरस पर खरीदना शुभ माना गया है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तु में तेरह गुना वृद्धि होती है.

'धनतेरस पर सोना-चांदी खरीदना शुभ'

कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि, "कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, तभी से इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के रूप में मनाया जाता है. धनतेरस पर आज पूरे देश में सोने चाँदी को मिलाकर अन्य जरूरी धनतेरस संबंधित वस्तुओं का कुल व्यापार का अनुमान 1 लाख करोड़ रुपए का है."

'धनतेरस पर सोने-चांदी का कारोबार 60 हजार करोड़ रुपए पार किया'

कैट एवं इसके ज्वैलरी चैप्टर ऑल इंडिया ज्वेलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन (एआईजेजीएफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज अरोड़ा ने कहा कि, "पिछले दो दिनों में और जिस प्रकार से ग्राहक सोने चांदी की दुकानों पर उमड़े हैं, उसको देखते हुए एक अनुमान के अनुसार देश भर में आज धनतेरस पर सोने चांदी के गहनों, सिक्को एवं अन्य वस्तुओं का कारोबार 60 हजार करोड़ रुपए पार कर गया. वहीं, दिल्ली के बाजारों में यह कारोबार 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक हुआ, जो पिछले साल की तुलना में 25% अधिक हुआ.

पिछले साल की तुलना में सोने-चांदी की कीमतों में इजाफा

पिछले साल दीपावली के दौरान सोने का भाव लगभग ₹80,000 प्रति 10 ग्राम था, जबकि इस साल बढ़कर ₹1,30,000 प्रति 10 ग्राम को पार कर गया है, यानी करीब 60% की वृद्धि. इसी प्रकार चांदी की कीमतें 2024 में ₹98,000 प्रति किलोग्राम थीं, जो अब ₹1,80,000 प्रति किलोग्राम के पार पहुंच गई हैं, यानी लगभग 55% की बढ़ोतरी. इन बढ़ी कीमतों के चलते निवेशक ग्राहकों ने बाजार में सामान खरीदा, क्योंकि सोने चांदी को निवेश हेतु सबसे सुरक्षित वस्तु माना जाता है. वहीं, आम ग्राहकों ने हल्के वजन के गहनों को प्राथमिकता दी. 

खंडेलवाल ने कहा कि, "धनतेरस पर  तांबा, चांदी या स्टील के नए बर्तन खरीदना, रसोई का अन्य सामान तथा उपकरण लेना शुभ माना जाता है, जो समृद्धि और शुद्धता का प्रतीक हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार धनतेरस पर झाड़ू खरीदना दरिद्रता को दूर करता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा एवं माँ लक्ष्मी का आगमन सुनिश्चित करता है. आधुनिक युग में लोग मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसी वस्तुएं भी शुभ मानकर खरीदते हैं, जो उन्नति और समृद्धि के प्रतीक बन चुके हैं."

'धनतेरस पर देश भर में 1 लाख करोड़ रुपए के व्यापार का अनुमान'

प्रवीन खंडेलवाल ने आगे बताया, "इस धनतेरस पर आज बाजारों में रिकॉर्ड बिक्री हुई, जिसमें सोने चांदी के अलावा मुख्य रूप से बर्तन एवं रसोई का सामान एवं उपकरण 15 हजार करोड़ रुपए, इलेक्ट्रॉनिक एवं इलेक्ट्रिकल का सामान 10 हजार करोड़ रुपए, सजावट, दीपक एवं पूजन सामग्री 3  हजार करोड़ रुपए और 12 हजार करोड़ रुपए ड्राई फ्रूट, फल, मिठाई, वस्त्र, वाहन आदि खरीदने में हुए खर्च का अनुमान है. कुल मिलाकर धनतेरस पर देश भर में 1 लाख करोड़ रुपए के बड़े व्यापार का अनुमान है." 

स्वदेशी चीजों के लिए बढ़ी डिमांड

खंडेलवाल के अनुसार, "इस वर्ष व्यापार वृद्धि के प्रमुख कारणों में जीएसटी दरों में बड़े पैमाने पर की गई कटौती और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए “स्वदेशी अपनाओ” के आह्वान का गहरा प्रभाव देखा गया है. उपभोक्ता अब स्थानीय एवं देशी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे देश के छोटे व्यापारियों और निर्माताओं को सीधा लाभ मिला है."

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'दिवाली ने भारत की खुदरा अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा दी'

उन्होंने कहा कि, "इस बार त्योहारी सीजन में न केवल मॉल्स बल्कि स्थानीय बाजार, सर्राफा गलियाँ, बर्तन मंडियाँ, इलेक्ट्रॉनिक मार्केट और खुदरा दुकानों में भी असाधारण उत्साह देखने को मिला. धनतेरस और दीपावली का यह पर्व न केवल आर्थिक गतिविधि का प्रतीक है, बल्कि यह आस्था, समृद्धि और स्वदेशी संकल्प का उत्सव भी बन गया है, जिसने भारत की खुदरा अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा दी है."

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