पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय के आज डिपार्मेंट और पर्सनल एंड ट्रेनिंग को रिपोर्ट करने की संभावना कम है क्योंकि ममता बनर्जी सरकार से अभी उन्हें मंजूरी नहीं मिली है. यह जानकारी एक उच्च पदस्थ सूत्र ने दी. रिटायरमेंट से कुछ दिन पहले ही उनके अचानक ट्रांस्फर से बड़ा विवाद पैदा हो गया है. सूत्र ने बताया कि रविवार को राज्य सचिवालय ‘नबान्न' में ही बंद्योपाध्याय मौजूद थे. सूत्र ने बताया, "अभी तक बंद्योपाध्याय को पश्चिम बंगाल सरकार ने ड्यूटी से रिलीव नहीं किया है...कल के कार्यक्रम के मुताबिक अपराह्न तीन बजे मुख्यमंत्री द्वारा आहूत समीक्षा बैठक में वह हिस्सा ले सकते हैं."
केंद्र ने शुक्रवार की रात अचानक बंद्योपाध्याय की सेवाएं मांगीं और राज्य सरकार से कहा कि टॉप ब्यूरोक्रेट को तुरंत वहां से रिलीव किया जाए. बताते चलें कि बंद्योपाध्याय 60 साल की उम्र पूरा करने के बाद 31 मई को रिटायर होने वाले थे. बहरहाल, कोविड-19 के प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए उन्हें तीन महीने का सर्विस एक्सटेंशन दिया गया था.
बताते चलें कि पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को दिल्ली में बुलाने के मोदी सरकार के फैसले पर TMC ने सवाल उठाया था. ममता बनर्जी ने कहा था कि बनर्जी ने कहा, “क्योंकि आप भाजपा की हार (बंगाल में) पचा नहीं पा रहे हैं, आपने पहले दिन से हमारे लिये मुश्किलें खड़ी करनी शुरू कर दी. मुख्य सचिव की क्या गलती है?