- आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित की गई.
- बैठक में आपातकाल के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए मौन रखा गया.
- केंद्रीय मंत्रियों ने आपातकाल की निंदा करते हुए प्रस्ताव पारित किया.
1975 में देश पर थोपे गए आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की हत्या हुई. बुधवार को आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आपातकाल की ज्यादतियों के पीड़ितों को श्रद्धांजलि के देने के लिए कुछ क्षण का मौन रखा गया. केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आपातकाल के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया. जिसमें कहा गया कि आपातकाल में लोकतंत्र की हत्या हुई.
बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में आपातकाल की निंदा की गई. आपातकाल लगाने से पहले और आपातकाल के दौरान हुई ज्यादतियों के पीड़ितों के लिए मौन रखा गया. पीएम मोदी सहित सभी मंत्रियों ने खड़े होकर दो मिनट का मौन रखा.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने आपातकाल की आलोचना की
दूसरी ओर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाए जाने की आलोचना करते हुए बुधवार को आरोप लगाया कि उनके पोते राहुल गांधी ने विदेशी धरती पर यह दावा करके देश की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है.
आपातकाल की 50वीं बरसी पर एक बयान में कुमार ने कहा कि आपातकाल स्वतंत्रता के बाद देश के इतिहास का एक काला अध्याय है. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाया था.
आपातकाल में लोगों की आवाज दबाई गईः बंदी संजय कुमार
केंद्रीय मंत्री बंदी संजय कुमार ने कहा कि आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की हत्या की गई, लोगों की आवाज दबा दी गई, विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया और इस पर सवाल उठाने वाले विपक्षी सांसदों की सदस्यता तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने रद्द कर दी थी.
आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर बुधवार को देश में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें आपातकाल पर चर्चा हुई और बताया गया कि यह भारतीय लोकतंत्र पर कितना बड़ा कुठाराघात था.
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