दिल्ली : सीरो सर्वे में कोरोना के खिलाफ दिखी हर्ड इम्युनिटी, लेकिन डॉक्टर बोले- 'आधी आबादी अब भी खतरे में'

दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ अरुण गुप्ता ने NDTV के साथ बातचीत में सीरो सर्वे के आंकड़ों पर राहत जताया लेकिन कहा कि अगर 56 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी बन चुकी है, तो इसका मतलब है कि 44 फीसदी लोग अभी भी खतरे में हैं.

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दिल्ली में हुए सीरो सर्वे में 56.13% लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गई है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

दिल्ली में कोरोनावायरस से फैली बीमारी कोविड-19 के खिलाफ हुए सीरोलॉजिकल सर्वे के नतीजे जारी किए गए हैं, जिसमें सामने आया है कि राजधानी में लगभग हर दूसरा शख्स कोरोना से संक्रमित हो चुका है क्योंकि सर्वे में शामिल लोगों में से कुल 56.13 फीसदी लोगों के शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गई है. यानी सर्वे में जितने लोग शामिल हुए थे, उनमें से कुल 56.13 फीसदी लोग कोरोना के संपर्क में आए थे और उनके शरीर में कोरोना के खिलाफ रक्षा देने वाली एंटीबॉडीज़ का निर्माण हो गया था. इससे हर्ड इम्युनिटी की बात फिर से उठ रही है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि अभी इसपर भरोसा करना उतना बेहतर नहीं है.

दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ अरुण गुप्ता ने NDTV के साथ बातचीत में आंकड़ों पर राहत तो जताया लेकिन चेतावनी भी दी. उन्होंने कहा, 'आमतौर पर मेडिकल साइंस में हम 60 से 70 फ़ीसदी की बात करते हैं तो दिल्ली में अगर 56 फ़ीसदी का आंकड़ा आ गया है तो बहुत अच्छी बात है. हमें यह मानकर चलना चाहिए कि 56 फ़ीसदी लोगों के शरीर में एंटीबॉडीज बन गई हैं जो बीमारी को रोकने की क्षमता रखती हैं. अगर यह इसी तरह आगे बढ़ती रहे तो यह अच्छी बात है.'

उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन एक डॉक्टर के तौर पर मैं कहना चाहूंगा कि हर्ड इम्युनिटी बनने के 2 तरीके होते हैं. एक नेचुरल इंफेक्शन से से बनती है और दूसरी वैक्सीनेशन से. नेचुरल इंफेक्शन से जो हर्ड इम्युनिटी बनती है उसमें बहुत सारी समस्या होती है एक तो मरीज की मौत भी हो जाती है और दूसरा लंबे समय तक मरीज बीमारी से पीड़ित रहता है. अगर इम्युनिटी वैक्सीनेशन से बनती है तो यह ज्यादा अच्छा तरीका है क्योंकि यह देर तक रहती है और इसमें लोग बीमार नहीं पड़ते.'

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डॉक्टर गुप्ता ने बताया, 'जब किसी आबादी में बड़ी संख्या में लोग किसी बीमारी के संपर्क में आ जाते हैं तो उसके खिलाफ उनके शरीर में एंटीबॉडीज बनती हैं. यह उस लेवल पर पहुंच जाता है जब बीमारी का ट्रांसमिशन आगे रुक जाता है तो इसको हर्ड इम्युनिटी कहते हैं. ऐसे में अगर दिल्ली की आधी आबादी में इम्युनिटी बन गई है तो आधी आबादी अभी भी बची हुई है.'

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उन्होंने आगे कहा कि 'ऐसा नहीं कहा जा सकता कि अब हम को चिंता करने की जरूरत नहीं है लेकिन हां यह कह सकते हैं कि हम पहले से ज्यादा अच्छी स्थिति में आ गए हैं. 56% लोग अगर संक्रमित हो चुके हैं तो 44% लोगों में आज भी संक्रमण का खतरा है. जिन लोगों को इस वायरस से इम्युनिटी मिल गई है वह इससे बीमार तो नहीं हो सकते लेकिन वायरस फिर भी उनके शरीर में हो सकता है और वह वायरस का कैरियर बन सकते हैं इसीलिए सभी को मास्क और दूसरे नियमों का पालन करना चाहिए.'

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