दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर पूर्व दिल्ली दंगों के दो मामलों के सिलसिले में आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की जमानत अर्जी शनिवार को खारिज कर दी और कहा कि उसने साम्प्रदायिक दंगे की साजिश रचने और उसे भड़काने में एक मुख्य भूमिका निभाने के लिए अपने बाहुबल एवं राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल किया.
अदालत ने कहा कि हुसैन ने अपने हाथों और मुट्ठियों का इस्तेमाल नहीं किया बल्कि दंगाइयों को "मानव हथियार" के रूप में इस्तेमाल किया, जो उसके उकसावे पर किसी को भी मार सकते थे. अदालत ने अपराध की गंभीरता और इलाके में उसके प्रभाव का उल्लेख करते हुए उसे राहत देने से इनकार कर दिया.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) विनोद यादव ने पिछले साल फरवरी में शहर के उत्तर पूर्व क्षेत्र में व्यापक दंगों के दौरान दो लोगों को गोली लगने के दो मामलों के संबंध में हुसैन द्वारा दायर जमानत अर्जियों पर यह आदेश पारित किया.
मामले अजय कुमार झा और प्रिंस बंसल द्वारा दायर अलग-अलग शिकायतों पर दर्ज किए गए थे, जिन्होंने दावा किया था कि वे 25 फरवरी को हुसैन के घर की छत से दंगाई भीड़ द्वारा पथराव, पेट्रोल बम फेंकने और गोलियां चलाने से घायल हो गए थे.
जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि हुसैन ने अपने घर का इस्तेमाल दंगाइयों द्वारा दूसरे समुदाय के लोगों पर कहर ढाने के लिए करने दिया. वह दहशत के वित्तपोषण में लिप्त था और उसने व्यक्तियों का इस्तेमाल मानव हथियार के रूप में किया.
सुनवायी के दौरान, विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने आरोप लगाया कि हुसैन मुख्य साजिशकर्ता था और कहा कि उसकी पहचान दोनों शिकायतकर्ताओं और पांच प्रत्यक्षदर्शियों ने की थी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)