- लाल किला ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार डॉक्टर शाहीन की आजीवन सदस्यता IMA रद्द कर चुका है
- डॉ शाहीन 2012-13 में कानपुर मेडिकल कॉलेज के फार्माकोलॉजी विभाग की अध्यक्ष रह चुकी थीं
- विभागाध्यक्ष होने के नाते उनका नाम कॉलेज बोर्ड पर लिखा था, जिसे सफेद रंग से पोत दिया गया है
दिल्ली लाल किला ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार लखनऊ की डॉक्टर शाहीन ने डॉक्टरी पेशे पर एक बदनुमा दाग लगा दिया है. डॉ. शाहीन की गिरफ्तारी के बाद आईएमए ने उनकी आजीवन सदस्यता रद्द कर दी है. इसके बाद कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में फार्माकोलॉजी विभाग के बोर्ड पर लिखे डॉक्टर शाहीन के नाम को सफेद रंग से पोत दिया गया है.
मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली डॉ. शाहीन सईद इस मेडिकल कॉलेज के फार्माकोलोजी विभाग की विभागाध्यक्ष रह चुकी हैं.उनका कार्यकाल 1 सितंबर 2012 से लेकर 31 दिसंबर 2013 तक था. इसी के नाते मेडिकल कॉलेज के बोर्ड पर उनका नाम लिखा गया था. इसका फोटो पिछले कुछ दिनों से वायरल हो रहा था .
अब दिल्ली ब्लास्ट में डॉ. शाहीन की गिरफ्तारी और उनके तथाकथित आतंकी कनेक्शन सामने आने के बाद आईएमए ने उन्हें निष्कासित कर दिया है. इसके बाद बोर्ड पर लिखे नाम को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे. इसके बाद इस पर सफेद पेंट पोत दिया गया है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की उत्तर प्रदेश कमेटी के संयुक्त सचिव डॉ. नवनीत वर्मा ने बताया कि डॉ. शाहीन सईद और उनके पति 2012-13 में आईएमए के आजीवन सदस्य बने थे. हालांकि उसके बाद इनकी कोई खोज खबर नहीं थीं. शायद किसी दूसरे शहर में चले जाने की वजह से ऐसा हुआ होगा. उन्होंने बताया कि आईएमए में ये किसी पद पर नहीं थे और संगठन में बहुत एक्टिव भी नहीं थे.
बता दें कि दिल्ली में लाल किले के ठीक बाहर 10 नवंबर की शाम को जोरदार ब्लास्ट हुआ था. इसमें 13 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 20 घायल हुए थे. दिल्ली में धमाके से पहले फरीदाबाद में दो जगहों से लगभग 2900 किलो विस्फोटक बरामद हुआ था. इस मामले में आरोपी मुजम्मिल जो कार इस्तेमाल कर रहा था, वह डॉ. शाहीन के नाम पर थी.
डॉक्टर शाहीन के भाई मोहम्मद शोएब ने कहा है कि परिवार को अब भी यह यकीन नहीं है कि वह किसी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल रही होगी. शोएब ने बताया कि पिछले चार साल से वह अपनी बहन के संपर्क में नहीं थे. माता-पिता कभी-कभार उसका हालचाल पूछ लेते थे. शाहीन के पूर्व पति ने बताया था कि उन्होंने शादी के बाद कभी बुर्का नहीं पहना. अपने बच्चों के लिए वह एक प्यारी और देखभाल करने वाली मां थीं.













