पराली नहीं, दिल्ली की जहरीली हवा की ये है असल वजह... CSE की रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

CSE Report on Delhi Pollution: रिपोर्ट के अनुसार कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर कार्बन मोनोऑक्साइड का लेवल तय सीमा से ऊपर पाया गया. यह गैस वाहनों के अधूरे जलने वाले ईंधन से निकलती है.

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  • दिल्ली के प्रदूषण पर CSE ने रिपोर्ट जारी कि है, जिसमें बताया गया कि गाड़ियों की वजह से पॉल्यूशन हो रहा है
  • सुबह सात से दस बजे और शाम छह से नौ बजे के दौरान PM2.5 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मात्रा तेजी से बढ़ती है
  • कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर निर्धारित सीमा से ऊपर पाया गया है
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CSE Report on Delhi Pollution: दिल्ली की हवा में बढ़ते प्रदूषण के लिए अब तक पराली जलाने को मुख्य वजह माना जाता रहा है, लेकिन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की एक नई रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की जहरीली हवा के पीछे असली 'विलेन' ट्रैफिक यानी वाहनों का धुआं और शहर के अंदर के स्थानीय समस्याएं हैं, न कि पड़ोसी राज्यों में जलने वाली पराली.

क्या कहती है CSE की रिपोर्ट?

CSE की रिपोर्ट में बताया गया कि इस बार अक्टूबर और नवंबर के महीनों में दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं का योगदान ज्यादातर दिनों में 5% से भी कम रहा. इसके बावजूद AQI लगातार 'बहुत खराब' या 'गंभीर' श्रेणी में बना रहा.स्टडी में पता चला कि सुबह 7 से 10 बजे और शाम को 6 से 9 बजे के दौरान हवा में PM2.5 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मात्रा एक साथ बहुत तेजी से बढ़ती है. रिसर्चरों का कहना है कि सर्दियों में हवा नीचे बैठ जाती है, जिससे गाड़ियों का धुआं ऊपर नहीं जा पाता और रोजाना जहरीला कॉकटेल बन जाता है.

 

 

 

रिपोर्ट के अनुसार कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर कार्बन मोनोऑक्साइड का लेवल तय सीमा से ऊपर पाया गया. यह गैस वाहनों के अधूरे जलने वाले ईंधन से निकलती है. इसके अलावा जहांगीरपुरी दिल्ली का सबसे प्रदूषित हॉटस्पॉट बना हुआ है. इसके बाद बवाना-वजीरपुर और आनंद विहार का नंबर आता है.

रिपोर्ट जारी करते हुए CSE की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा,

"दिल्ली और एनसीआर अब खेतों में लगी आग की आड़ में नहीं छिप सकते, क्योंकि इस बार स्थानीय वायु गुणवत्ता में इनकी हिस्सेदारी बहुत कम होने के बावजूद, वायु गुणवत्ता बहुत खराब से गंभीर हो गई है, जिससे प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों का असर सामने आया है. लेकिन ज्यादा चिंता की बात यह है कि वाहनों और दहन सोर्स से निकलने वाली पीएम 2.5 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) व कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) जैसी अन्य जहरीली गैसों में रोज़ाना एक साथ बढ़ोतरी हो रही है, जिससे एक जहरीला मिश्रण बन रहा है, जिस पर किसी का ध्यान नहीं गया. दिल्ली में लंबी अवधि में वायु गुणवत्ता का रुझान भी बिना किसी सुधार के स्थिर बना हुआ है. प्रदूषण का ये संकट वाहनों, उद्योगों, बिजली संयंत्रों, कचरे, निर्माण और घरेलू ऊर्जा से होने वाले उत्सर्जन में कटौती के लिए मौजूदा कोशिशों में व्यापक बदलाव की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है."

प्रदूषण रोकने के लिए CSE के सुझाव

CSE ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं, जिसमें पुरानी डीजल और पेट्रोल गाड़ियों को जल्द से जल्द हटाना,  इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और पब्लिक ट्रांसपोर्ट (बस, मेट्रो) को बढ़ाना, कारखानों में कोयले की जगह साफ-सुथरे ईंधन का उपयोग करना, खुले में कूड़ा और कचरा जलाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाना, पराली को जलाने के बजाय मिट्टी में मिलाना या उससे बायोगैस बनाना शामिल है.

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