100 करोड़ की ठगी और धोखाधड़ी के 59 मामलों में आरोपी को दिल्ली पुलिस ने दबोचा

क्राइम ब्रांच के डीसीपी विचित्रवीर के मुताबिक- पकड़ा गया आरोपी 38 साल का ओमा राम है, जो राजस्थान के जोधपुर का रहने वाला है, वो गुरुवार को अपने एक जानकार से मिलने रोहिणी इलाके में आया था. वहीं से उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

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100 करोड़ की ठगी करने वाला हुआ अरेस्ट

मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी के जरिए 100 करोड़ से ज्यादा की ठगी को अंजाम देने का मामला सामने आया है. आरोपी धोखाधड़ी के 59 मामलों में शामिल है, जबकि 46 मामलों में कोर्ट उसे भगोड़ा घोषित कर चुकी है. क्राइम ब्रांच के डीसीपी विचित्रवीर के मुताबिक- पकड़ा गया आरोपी 38 साल का ओमा राम है, जो राजस्थान के जोधपुर का रहने वाला है, वो गुरुवार को अपने एक जानकार से मिलने रोहिणी इलाके में आया था. वहीं से उसे गिरफ्तार कर लिया गया. आरोपी 12वीं तक पढा है, उन्होंने 2004 से 2006 तक बीएसएफ में रसोइये के रूप में काम किया है. उसने जल्दी पैसा कमाने के लालच में बीएसएफ की नौकरी छोड़ दी, 2007 में उसने जयपुर, राजस्थान में एक सिक्योरिटी एजेंसी खोली,उसकी एजेंसी में 60 लोग नौकरी करते थे. इसके बाद उसने सिक्योरिटी एजेंसी को एक पूर्व सैनिक राकेश मोहन को बेच दी. साल 2007 में उसने एमएलएम कंपनी मिताशी मार्केटिंग एंड कंसल्टेंसी प्राइवेट में एक एजेंट के तौर पर काम करना शुरू किया. इस कंपनी से उसने करीब 1.5 करोड़ रुपये कमाए.

साल 2008 में उसने मिताशी मार्केटिंग एंड कंसल्टेंसी प्राइवेट नाम से अपनी कंपनी शुरू की. साल 2009 में इसे लिमिटेड कंपनी बना दिया गया था. वो कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर था, इस कंपनी में उनके अलावा विजेंद्र सिंह चेयरमैन थे. डीसी यादव एक्सई थे. मदन मोहन मीणा कंपनी के निदेशक थे. यह कंपनी नए मेंबर्स के जुड़ने पर कमीशन देती थी. प्रत्येक सदस्य को 4 हज़ार रुपये जमा करने होते थे ,इसके बदले उन्हें 400 रुपये का एक सफारी सूट मिलता था. फिर हर किसी 10 सदस्यों को और जोड़ना होता था और उन्हें इसके बदले कमीशन मिलता था.सदस्यों को उनके निवेश पर बढ़िया रिटर्न की भी गारंटी दी गई थी. 12 महीने तक लगातार 2 लाख रुपये का कारोबार देने पर कंपनी की ओर से मोटर साइकिल मिलती थी. इस तरह हजारों सदस्य जुड़ गए और कंपनी ने जनता के साथ 100 करोड़ से ज्यादा की ठगी की. कुछ समय बाद कंपनी ने कमीशन का पैसा और दूसरे भुगतान देने बंद कर दिए.

साल 2011 में राजस्थान में इस कंपनी के खिलाफ बड़ी संख्या में केस दर्ज किए गए. इसके बाद आरोपी ओम राम फरार हो गया और वहां से इंदौर गया और सहकारी समिति का लाइसेंस हासिल किया. इसके बाद उसने अपना नाम बदलकर राम मारवाड़ी रख लिया. इंदौर में उसने कई कारोबार में हाथ आजमाया, लेकिन उसे नुकसान हुआ,फिर  2014 में वह दिल्ली आ गया और प्रॉपर्टी डीलिंग करने लगा.

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साल 2018 में उसने नजफगढ़ में कैश बैक बाजार के नाम से एक किराने की दुकान खोली लेकिन वो भी  घाटे में चली गई. साल 2020 में उसे नजफगढ़ में एक ठगी के मामले में गिरफ्तार किया गया,साल 2021 में उसने "अपना कार्ट" के नाम से एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म शुरू किया. इसके साथ ही वो इंदौर के यशोदा नगर में किराए के मकान में रहने लगा. अपने नए प्लेटफार्म के जरिये भी वो लोगों को धोखा देकर जल्दी पैसा कमाना चाहता था. पुलिस से बचने के लिए वो लगातार जगह बदल रहा था और अपने करीबियों से बात करने के लिए वो फोन की बजाय सोशल मीडिया ऐप का इस्तेमाल करता था.

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