दिल्ली में बीएमडब्ल्यू दुर्घटना में अपने बेटे को खोने वाले रिटायर्ड फ्लाइंग ऑफिसर बलवंत सिंह ने कहा कि उनका बेटा बहुत सावधानी और सतर्कता से ड्राइविंग करता था. हाल ही में उसे ट्रायम्फ मोटरसाइकिल मिली थी, जिस पर सवार होकर वह उस दिन जा रहा था. उन्होंने कहा कि मुझे यकीन नहीं हो रहा कि मेरा बेटा इस दुनिया में नहीं है. उसे छह महीने में प्रमोशन मिलने वाला था...हमारा सब कुछ खत्म हो गया. बता दें कि वित्त मंत्रालय में उप सचिव के पद पर कार्यरत नवजोत सिंह की रविवार को दक्षिणी दिल्ली के धौला कुआं के पास एक तेज रफ़्तार बीएमडब्ल्यू कार की चपेट में आने से मौत हो गई. वह और उनकी पत्नी गुरुद्वारा बंगला साहिब से घर लौट रहे थे.
बेटे का सवाल- पास के अस्पताल में क्यों नहीं ले गए
बीएमडब्ल्यू कार गगनप्रीत नाम की एक महिला चला रही थी. उसके पति पीछे बैठे थे. दुर्घटना के बाद ये लोग घायल जोड़े को अपने पिता के नर्सिंग होम ले गए, जो कि 19 किलोमीटर से ज्यादा दूर था. अधिकारी के बेटे ने सवाल उठाया है कि उसके पिता को इतनी दूर क्यों ले जाया गया. उन्होंने कहा कि यदि उन्हें नजदीक स्थित किसी सुपर-स्पेशलिटी अस्पताल में ले जाया जाता तो उनकी जान बच सकती थी.
मैंने उसे 3.2 लाख की बाइक गिफ्ट की थी- पिता
बलवंत सिंह ने बताया कि उनके बेटे को कभी-कभी बाइक चलाने का शौक था. वह कभी-कभी बाइक चलाता था, बाइक चलाना उसका शौक था. हाल ही में मैंने उसके लिए 3.2 लाख रुपये की एक ट्रायम्फ बाइक खरीदी थी... पहले उसके पास एक रॉयल एनफील्ड थी. वह सड़क पर बहुत ही शानदार तरीके से बाइक चलाता था. जिस दिन उसकी मौत हुई, उस दिन वह ट्रायम्फ पर ही था. नवजोत सिंह मंत्रालय में एक होनहार अधिकारी थे, जो देश में यूएनडीपी (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम) द्वारा किए जा रहे कार्यों के प्रभारी थे. वे मंत्रालय की अन्य अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं से भी जुड़े रहे थे और हाल ही में विश्व बैंक प्रमुख अजय बंगा से भी मिले थे.
मेरा बेटा टॉपर था- पिता
बलवंत सिंह ने कहा कि मेरा बेटा शुरू से ही टॉपर था. छह महीने बाद उसकी पदोन्नति होनी थी. वह बाइक बहुत अच्छी चलाता था, फिर भी मैं उसे खो बैठा.
एक परिचित ने फोन किया- तुम्हारे पिता का एक्सीडेंट हो गया है
यह दुर्घटना रविवार दोपहर 1 से 1:30 बजे के बीच हुई. नवजोत सिंह के बेटे नवनूर ने बताया कि एक दोस्त के घर से लौटने के बाद उन्होंने अपने माता-पिता को फोन किया था, लेकिन उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया. कुछ देर बाद, एक परिचित ने फ़ोन करके बताया कि मेरे पिता का एक्सीडेंट हो गया है. मुझे समझ नहीं आ रहा कि उन्हें पास के किसी बड़े अस्पताल के बजाय 20 किलोमीटर दूर जीटीबी नगर के न्यू लाइफ अस्पताल क्यों ले जाया गया. नवजोत सिंह के परिवार का आरोप है कि दुर्घटना के बाद घायलों को एम्बुलेंस की बजाय डिलीवरी वैन में अस्पताल ले जाया गया. जब सिंह की पत्नी को होश आया तो उन्होंने देखा कि वह वैन की सीट पर बैठी थीं और उनके पति पीछे बेहोश पड़े थे.
मेरे पापा शायद जिंदा होते- बेटे नवनूर का दर्द
नवनूर ने दावा किया कि अस्पताल किसी नर्सिंग होम जैसा था, न तो पर्याप्त सुविधाएं थीं और न ही आपातकालीन व्यवस्था. मम्मी को भी लॉबी में स्ट्रेचर पर पट्टी बांधी जा रही थी. उन्हें एम्स या किसी सुपर-स्पेशलिटी अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया? शायद, मेरे पापा आज ज़िंदा होते.