दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 : जानिए, सीमापुरी विधानसभा सीट का राजनीतिक गुणा-भाग

आम आदमी पार्टी ने इस बार इस सीट पर पूर्व विधायक वीर सिंह धींगान को चुनावी मैदान में उतारा है. उन्होंने हाल ही में कांग्रेस का साथ छोड़कर आम आदमी पार्टी का दामन थामा है.

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नई दिल्ली:

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चुनावी बिगुल बजने के बाद लोगों के जेहन में सभी विधानसभा सीटों के गुणा भाग के बारे में जानने की आतुरता अपने चरम पर पहुंच चुकी है. दिल्ली में कुल 70 विधानसभा सीटें हैं. सभी सीट एक-दूसरे से कई मायनों में अलग हैं. अगर हम बात दिल्ली की सीमापुरी विधानसभा सीट की करें, तो यह एक रिजर्व सीट है, जहां मौजूदा समय में आम आदमी पार्टी का कब्जा बना हुआ है. यह पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है.

आम आदमी पार्टी ने इस बार इस सीट पर पूर्व विधायक वीर सिंह धींगान को चुनावी मैदान में उतारा है. उन्होंने हाल ही में कांग्रेस का साथ छोड़कर आम आदमी पार्टी का दामन थामा है. वह कांग्रेस में रहते हुए वर्ष 1998, 2003 और 2008 में लगातार तीन बार विधायक बने. राजनीति के क्षेत्र में उनके पास लंबा अनुभव है. उधर, कांग्रेस ने इस सीट पर राजेश लिलोठिया को चुनावी मैदान में उतारा है.

साल 1970 में इसे एक झुग्गी बस्ती के रूप में बसाया गया था. शुरुआती दिनों में यहां मुख्यत: बांग्लादेशी आकर रहते थे. लेकिन, बाद में यहां उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश सरीखे राज्यों से भी लोग आकर रहने लगे. मौजूदा समय में यह इलाका घनी आबादी में तब्दील हो चुका है.

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इसी कड़ी में अगर हम साल 2020 के विधानसभा चुनाव की बात करें, तो यहां मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी के राजेंद्र पाल गौतम और लोक जनशक्ति पार्टी के प्रत्याशी संत लाल के बीच था. इस चुनाव में राजेंद्र पाल गौतम ने एलजेपी के संत लाल को 56,108 मतों के अंतर से हरा दिया था. राजेंद्र पाल को 88,392 वोट मिले, जबकि संत लाल के खाते में 32,284 वोट आए थे. उधर, कांग्रेस प्रत्याशी और तीन बार के विधायक रहे वीर सिंह ढिंगन को महज 7,661 वोट ही मिले थे.

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चुनाव आयोग के मुताबिक, इस सीट पर कुल 196306 वोटर्स थे, जिसमें 68 फीसद से अधिक यानी 1,34,437 वोटर्स ने वोट डाले थे.

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यहां पर 1993 से लगातार चुनाव कराए जा रहे हैं. 1993 में यहां भारतीय जनता पार्टी के नेता बलबीर सिंह को जीत मिली थी. लेकिन, 1998 में कांग्रेस के प्रत्याशी वीर सिह ढिंगन ने सीट पर कब्जा जमा लि‍या. उन्होंने इस सीट पर जीत का परचम लहराया. इसके बाद 2003 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज की. वहीं, 2008 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी ने इस सीट पर जीत का परचम लहराया. 2013 के विधानसभा चुनाव में परिस्थितियां बदलीं और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र सिंह ने यहां जीत का परचम लहराया और कांग्रेस के प्रत्याशी को हार का मुंह देखना पड़ा. भाजपा तीसरे नंबर पर रही.

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2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए राजेंद्र सिंह गौतम को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया. उन्होंने पार्टी की उम्मीदों पर खड़ा करते हुए यहां पर जीत का परचम लहराया.

अगर 2020 के विधानसभा चुनाव के परिणामों की बात करें, तो राजेंद्र पाल गौतम ने एक बार फिर से यहां पर जीत का परचम लहराया. इस चुनाव में उन्होंने 56,108 मतों से जीत हासिल की थी. बता दें कि दिल्ली में पांच फरवरी को मतदान होंगे, जबकि नतीजों की घोषणा आठ फरवरी को होगी.

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