दिल्ली चुनाव: देखन में 0, लेकिन जानिए कैसे कांग्रेस ने AAP पर घाव किए गंभीर

भाजपा ने दिल्‍ली की 70 सदस्‍यीय विधानसभा में 48 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं आम आदमी पार्टी महज 22 सीटों पर सिमट कर रह गई. कांग्रेस का हाल सबसे बुरा रहा है, यहां पर कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी है. बावजूद इसने आम आदमी पार्टी के कई उम्‍मीदवारों का खेल बिगाड़ दिया.

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नई दिल्‍ली :

देखन में छोटन लगे, घाव करे गंभीर. मुहावरा यही है. दिल्ली चुनाव से जोड़कर देखें तो आप कह सकते हैं- देखन में 0 लगे, घाव कर दिया गंभीर. बात कांग्रेस की हो रही है. दिल्ली के नतीजों के बाद AAP की हार में कांग्रेस के 'हाथ' के चर्चे ज्यादा हैं. आम आदमी पार्टी दिल्ली में 22 सीटों पर सिमट गई. कांग्रेस का खाता नहीं खुला. उसका स्कोर 0 रहा.  BJP 48 सीटों के बंपर बहुमत पर है. सीटों के लिहाज से दोनों मिल भी जाएं तो आप का स्कोर नहीं बदलता. बात अगर वोट शेयर की करें तो ऊपर दिए मुहावरे का संदर्भ निकलता है. जरा दिल्ली चुनाव के नीचे दिए नंबरों पर एक नजर मार लीजिए...

पार्टीसीटेंवोट शेयर
BJP4845.56%
AAP2243.57%
कांग्रेस06.34%

दिल्ली में कांग्रेस का वोटर शेयर 6.34 पर्सेंट रहा. आप 43.57 पर्सेंट वोट के साथ अपने खाते में 22 सीटें जोड़ पाई. बीजेपी ने आप से 2 पर्सेंट ज्यादा वोट यानी की 45.56 पर्सेंट के साथ 48 सीटें जीतीं. आप और कांग्रेस के वोट मिला दें तो यह 49.91 पर्सेंट बैठता है. यानी बीजेपी से साढ़े 4 पर्सेंट ज्यादा. तो क्या केजरीवाल ने आप को भाव न देकर दिल्ली में गलती की? दिल्ली में 14 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस और आप वोट मिला दें, तो वह बीजेपी से ज्यादा बैठते हैं. वैसे यह भी सच है कि सियासत का गणित इतना सीधा नहीं होता है. 

वोट शेयर दिल्ली विधानसबा चुनाव 2025

एक और तस्वीर देखिए  

अगर AAP दिल्ली में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ती तो केजरीवाल चुनाव नहीं हारते? राजनीति में 2+2 चार नहीं होते हैं, लेकिन यह साफ है कि कांग्रेस ने AAP को जोर का झटका धीरे से दिया जरूर है. यानी हम तो डूबे हुए ही हैं सनम, आपको भी ले डूबेंगे. केजरीवाल नई दिल्ली सीट से चुनाव हारे. हार का अंतर रहा 4089. और संदीप दीक्षित को वोट मिले 4568. समझ तो गए ही होंगे आप!  

नई दिल्ली सीट पर किसे कितने वोट मिले देखिए

दिल्‍ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 27 साल बाद सत्ता में वापसी की है. यह चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका साबित हुए और पार्टी का चौथी बार सत्ता में आने का ख्‍वाब बुरी तरह से चकनाचूर हो गया. कांग्रेस इस चुनाव में अपनी सीटों को लेकर कोई कमाल नहीं दिखा सकी, लेकिन कमाल देखिए कि उसने आम आदमी पार्टी का खेल जरूर बिगाड़ दिया. भाजपा ने दिल्‍ली की 70 सदस्‍यीय विधानसभा में 48 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं आम आदमी पार्टी महज 22 सीटों पर सिमट कर रह गई. हालांकि कांग्रेस का हाल सबसे बुरा रहा है, यहां पर कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी है. वहीं उसके 67 उम्‍मीदवारों की जमानत जब्‍त हो गई. बावजूद इसने आम आदमी पार्टी के कई उम्‍मीदवारों का खेल बिगाड़ दिया. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के साथ नहीं आने का खामियाजा दोनों को ही भुगतना पड़ा है. इंडिया गठबंधन के कई नेता ऐसा मानते हैं. जम्‍मू-कश्‍मीर के मुख्‍यमंत्री उमर अब्‍दुल्‍ला ने मतगणना के रुझान आने के बाद इशारों ही इशारों में यह कह भी दिया है विपक्षी दलों के आपसी झगड़े से आप की 'हांडी' फूटी है.

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कांग्रेस उम्‍मीदवारों ने काटे वोट, हार गए दिग्‍गज

आम आदमी पार्टी के कई दिग्‍गज उम्‍मीदवारों को हार झेलनी पड़ी है. इनमें पूर्व मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उप मुख्‍यमंत्री मनीष सिसोदिया शामिल हैं. राजनीतिक विश्‍लेषकों का मानना है कि इनमें कांग्रेस के उम्‍मीदवारों का बड़ा हाथ है. यदि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा होता तो दोनों ही पार्टियों के लिए चुनाव परिणाम इतने बुरे नहीं होते. 

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नई दिल्‍ली विधानसभा सीट से भाजपा के प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को 4089 मतों से हरा दिया. वहीं इस सीट पर कांग्रेस उम्‍मीदवार संदीप दीक्षित को 4568 वोट मिले. जंगपुरा में मनीष सिसोदिया को भाजपा उम्‍मीदवार तरविंदर सिंह मारवाह ने 675 वोटों से मात दी. यहां पर कांग्रेस उम्‍मीदवार फरहद सूरी को 7350 मत मिले. साफ है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस साथ आते तो यह स्थिति कुछ अलग हो सकती थी. 

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इन 11 सीटों पर कांग्रेस की हार के मायने क्‍या?

क्रम संख्‍याविधानसभा सीटइतने वोटों से हारे आप उम्‍मीदवारकांग्रेस उम्‍मीदवार को मिले वोट
1.बादली1516341071
2.त्रिलोकपुरी3926147
3.मालवीय नगर21316770
4.मादिपुर 1089917958
5.नांगलोई2625132028
6.छतरपुर62396601
7.राजिंदर नगर12314015
8.संगम विहार34415863
9.ग्रेटर कैलाश31886711
10.जंगपुरा6757350
11.नई दिल्ली40894568

AAP से छिटक कर भाजपा-कांग्रेस के पास गया वोट 

इन चुनावों में जहां भाजपा के वोट शेयर में जबरदस्‍त बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वहीं आम आदमी पार्टी के वोट शेयर में कमी दर्ज की गई है. हालांकि कांग्रेस इस चुनाव में अपने वोट शेयर को बढ़ाने में कामयाब रही है. जहां भाजपा को इन चुनावों में 47.3 फीसदी वोट मिला है, वहीं आम आदमी पार्टी को 43.9 फीसदी मतदाताओं ने वोट दिया. वहीं कांग्रेस को 6.4 फीसदी वोट मिला है. खास बात है कि आम आदमी पार्टी के वोट शेयर में 9.72 फीसदी की जबरदस्‍त कमी देखने को मिली है तो भाजपा का वोट 7.92 फीसदी बढ़ा है. वहीं कांग्रेस के वोट शेयर में भी 2.18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 2020 की अपेक्षा दिल्‍ली में 2025 का रंग बिलकुल अलग है. 

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राजनीतिक विश्‍लेषकों का मानना है कि इनकंबेंसी का खामियाजा आम आदमी पार्टी की सरकार को भुगतना पड़ा है. उस पर पार्टी से नाराज मतदाताओं ने भाजपा या फिर जो भाजपा को वोट नहीं देना चाहते थे, उन्‍होंने कांग्रेस का विकल्प चुना. ऐसे में वोटों का बंटवारा पार्टी को सत्ता से बाहर ले गया. 

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