दिल्ली की हवा लगातार सातवें दिन भी खराब, अगले कुछ दिन भी नहीं मिलेगी राहत

एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम के अनुसार, दिल्‍ली में प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण अगले तीन दिनों तक ऐसे ही प्रदूषण का स्तर अधिक बने रखने की आशंका है.

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दिल्‍ली के शादीपुर की हवा सबसे सबसे खराब...
नई दिल्‍ली:

दिल्‍ली की हवा आज भी 'जहरीली' है. लोगों को सांस लेने में दिक्‍कत हो रही है. आखिर, दिल्‍ली-एनसीआर की हवा कब साफ होगी, हर कोई यही जानना चाह रहा है. दिल्ली की एयर क्‍वालिटी सुधरने का नाम नहीं ले रही है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्‍ली की एयर क्‍वालिटी रविवार को लगातार सातवें दिन भी "बहुत खराब" श्रेणी में रही है. दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 346 दर्ज किया गया है. ऐसे में लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. 

शादीपुर की हवा सबसे सबसे खराब

एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम के अनुसार, प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण अगले तीन दिनों तक ऐसे ही प्रदूषण का स्तर अधिक बने रखने की आशंका है. शहर के निगरानी स्टेशनों में से शादीपुर में सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई है. यहां का एक्यूआई 400 से अधिक दर्ज किया गया है, जो गंभीर श्रेणी में आता है. इसके अलावा रोहिणी में रविवार सुबह सबसे अधिक 340 एक्यूआई दर्ज किया है. भलस्वा लैंडफिल में 336, द्वारका में 334 और अलीपुर में 332 एक्यूआई दर्ज किया गया. इसके साथ ही नजफगढ़ में सबसे कम 292 एक्यूआई दर्ज किया गया, जो अभी भी "खराब" श्रेणी में है.

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400 AQI स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 301 से 400 के बीच के एक्यूआई स्तर को "बहुत खराब" और 400 से ऊपर के एक्यूआई को "गंभीर" माना है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है. दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक शनिवार को 4 बजे 346 पर पहुंच गया, जो शुक्रवार के 331 की तुलना में थोड़ा खराब है. इस बीच, प्रदूषण के खतरनाक स्तर से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि स्कूलों को छोड़कर सभी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान ग्रैप-4 उपाय 2 दिसंबर तक प्रभावी रहेंगे.

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पीएम 2.5 से गर्भवती महिलाओं को हो सकता है नुकसान

एक शोध में यह बात सामने आई है कि गर्भवती महिलाओं के वायु प्रदूषण (पीएम 2.5) के संपर्क में आने से इम्यून सिस्टम प्रभावित हो सकता है. इसकी वजह से बच्‍चे के जन्‍म के समय भी परेशानी आ सकती है. जबकि पिछले शोध ने पीएम 2.5 के संपर्क को मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य जटिलताओं से जोड़ा था. इसमें प्रीक्लेम्पसिया, जन्म के समय कम वजन और शारीरिक विकास में रुकावट की बात थी. साइंस एडवांसेज में प्रकाशित नया शोध पीएम 2.5 और मातृ एवं भ्रूण स्वास्थ्य के बीच संबंधों की जांच करने वाला पहला अध्ययन है.

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