Uttarakhand: बारिश से आफत, देहरादून में देखते ही देखते नदी में समा गया पुल; देखें VIDEO

Rani Pokhari Bridge collapses: उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश ने कोहराम मचा रखा है. राज्य के कई क्षेत्रों में भारी नुकसान देखने को मिला है. भारी बारिश और खराब मौसम के चलते राज्य के कई रास्तों पर आवाजाही भी बंद कर की गई है.

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Uttarakhand Rain: देहरादून में भारी बारिश के बाद पुल का हिस्सा नदी में समाया.
नई दिल्ली:

उत्तराखंड (Uttarakhand) में हो रही भारी बारिश ने आम जन-जीवन को बेहाल कर रखा है. बारिश से कई क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ है, जाखन नदी (Jakhan river) पर तो पुल का एक हिस्सा ही ढह गया. पुल के ढहने की वजह से कई वाहनों को नुकसान हुआ है. अब तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है लेकिन शहर और यहां तक ​​कि राज्य के कई हिस्सों में परिवहन बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

रानीपोखरी (Ranipokhari) में देहरादून-ऋषिकेश राजमार्ग (Dehradun-Rishikesh highway) पर जाखन नदी पर बने पुल का कुछ हिस्सा ढह कर नदी में समा गया. घटनास्थल से मिली तस्वीरों में कई वाहन मलबे में फंसे हुए दिखाई दे रहे हैं और लोग भाग रहे हैं.

राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की रेस्क्यू और डीप डाइविंग टीम मौके पर पहुंच गई है. समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि बचाव और राहत अभियान जारी है. जिलाधिकारी आर राजेश कुमार ने बताया कि मार्ग पर यातायात रोक दिया गया है.

एक अन्य घटना में, देहरादून में लगातार बारिश के बाद मालदेवता-सहस्त्रधारा लिंक रोड के कुछ हिस्से धंस गए और नदी में समा गए. समाचार एजेंसी के अनुसार टिहरी-गढ़वाल जिले के अधिकारियों ने कहा कि इस बीच, इलाके में भारी बारिश के कारण तपोवन से मलेथा तक राष्ट्रीय राजमार्ग 58 को बंद कर दिया गया है.

राज्य पुलिस ने कहा है कि पिछले 3-4 दिनों में बारिश के बाद कई स्थानों पर भूस्खलन के कारण ऋषिकेश-देवप्रयाग, ऋषिकेश-टिहरी और देहरादून-मसूरी मार्ग भी बंद कर दिए गए हैं. लोगों को मौसम के ठीक होने तक क्षेत्र की यात्रा करने के प्रति आगाह किया गया है.

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शहर में भारी बारिश के बीच एसडीआरएफ की टीमें देहरादून में बचाव अभियान चला रही हैं. राज्य को हाल के वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं के कारण जान-माल का भारी नुकसान हुआ है. 2013 में बादल फटने से विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन ने उत्तराखंड को झकझोर कर रख दिया था. इस आपदा में 5,700 से अधिक लोग मारे गए थे. इसी तरह की एक और घटना 2016 में हुई थी, जिसमें लगभग 30 लोग मारे गए थे. 2021 में, गंगा की कुछ सहायक नदियों में हिमस्खलन के कारण अचानक आई बाढ़ में 200 से अधिक लोगों की जान चली गई थी.

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