चीन-पाकिस्तान जैसे दुश्मनों की उड़ेगी नींद! भारत ने 79 हजार करोड़ के हथियार खरीद को दी मंजूरी

DAC के इन फैसलों से तीनों सेनाओं की मारक क्षमता, निगरानी, ड्रोन रोधी सुरक्षा और आधुनिक युद्ध क्षमता बढ़ेगी. यह कदम भारत की रक्षा तैयारियों और आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता को और मजबूत करने की दिशा में अहम माना जा रहा है.

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रक्षा मंत्रालय ने बड़ी रक्षा डील पर लगाई मुहर
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  • रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में तीनों सेनाओं के लिए करीब 79,000 करोड़ के रक्षा खरीद प्रस्तावों पर लगी मुहर
  • थलसेना को आधुनिक हथियारों के साथ ड्रोन रोधी सिस्टम और लोइटर म्यूनिशन सिस्टम मिलने वाले हैं
  • नौसेना को बोलार्ड पुल टग्स, हाई फ्रीक्वेंसी सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो और HALE ड्रोन जैसी तकनीकें मिलेंगी
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नई दिल्ली:

चीन-पाकिस्तान जैसे दुश्मनों की अब और नींद उड़ने वाली है. ऐसा इसलिए क्योंकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में तीनों सेनाओं के लिए करीब 79,000 करोड़ रुपये के रक्षा खरीद प्रस्तावों को स्वीकृति (AoN) दे दी गई है. यह बैठक 29 दिसंबर 2025 को हुई, जिसे भारत की सैन्य तैयारियों के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है. इस डील के बाद अब थलसेना को आधुनिक हथियार और ड्रोन रोधी सिस्टम भी मिलेंगे. 

आपको बता दें कि इस डील के तहत सेना के लिए कई अमह प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है. सेना को अब लोइटर म्यूनिशन सिस्टम मिलने जा रहा है, जिससे दुश्मन के अहम ठिकानों पर सटीक हमला करने में मदद मिलेगी. इसी तरह लो-लेवल लाइट वेट रडार दुश्मनों के छोटे और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन और UAV की पहचान और ट्रैकिंग करेंगे. पिनाका रॉकेट सिस्टम के लिए लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट से पिनाका की रेंज और सटीकता बढ़ेगी, जिससे हाई वैल्यू टारगेट को दूर से ही निशाना बनाया जा सकेगा. वहीं, इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम Mk-II की मदद से सेना सीमावर्ती इलाकों और अंदरूनी क्षेत्रों में सेना की अहम संपत्तियों को ड्रोन हमलों से सुरक्षित रखेगा. 

बात अगर नौसेना की करें तो इस डील से उसकी शक्ति भी बढ़ने वाली है. इस डील में नौसेना के लिए जिन प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है उसमें बोलार्ड पुल (BP) टग्स जैसे उपकरण मिलेंगे. नौसेना में इसके शामिल होने के बाद जहाजों और पनडुब्बियों को बंदरगाह में लाने-ले जाने और सीमित जगह में maneuver करने में मदद करेंगे. हाई फ्रीक्वेंसी सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (HF SDR) से बोर्डिंग और लैंडिंग ऑपरेशन के दौरान सुरक्षित और लंबी दूरी की संचार व्यवस्था को मजबूत करेगा.HALE ड्रोन (लीज पर) से ये हाई-एल्टीट्यूड, लॉन्ग-रेंज ड्रोन हिंद महासागर क्षेत्र में लगातार निगरानी, खुफिया जानकारी और समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे.

इसी तरह इस डील में वायुसेना के लिए भी काफी कुछ है. इस डील के बाद अब वायुसेना को ऑटोमैटिक टेक-ऑफ और लैंडिंग रिकॉर्डिंग सिस्टम मिलने जा रहा है. जिसकी मदद से हर मौसम में टेक-ऑफ और लैंडिंग की हाई डेफिनिशन रिकॉर्डिंग से उड़ान सुरक्षा बढ़ेगी. Astra Mk-2 मिसाइल भी वायुसेना को मिलेगा. जो ज्यादा रेंज के साथ दुश्मन के विमानों को दूर से ही मार गिराने की क्षमता रखता है. बात अगर तेजस फाइटर जेट के लिए फुल मिशन सिम्युलेटर की करें तो इसके मिलने के बाद पायलटों की ट्रेनिंग सुरक्षित और कम खर्च में हो सकेगी.इसी तरह SPICE-1000 गाइडेंस किट भी वायुसेना को मिलेगा.लंबी दूरी से सटीक हमला करने की वायुसेना की ताकत और बढ़ेगी. 

क्यों अहम है यह फैसला

DAC के इन फैसलों से तीनों सेनाओं की मारक क्षमता, निगरानी, ड्रोन रोधी सुरक्षा और आधुनिक युद्ध क्षमता बढ़ेगी. यह कदम भारत की रक्षा तैयारियों और आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता को और मजबूत करने की दिशा में अहम माना जा रहा है.

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