डीपफेक साइबर हमले हेल्थ और फाइनेंशियल सेक्टर के लिए खतरा- स्टडी रिपोर्ट

डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (डीएससीआई) और सेक्राइट ने 'इंडिया साइबर थ्रेट रिपोर्ट 2025' में साइबर अपराधियों की नयी रणनीति और एआई आधारित हमलों को एक प्रमुख चिंता बताया.

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नई दिल्ली:

कृत्रिम मेधा संचालित और ‘डीपफेक' आधारित साइबर हमले वर्ष 2025 में तेजी से बढ़ने का अनुमान है. हाल में आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए कहा गया कि इस दौरान साइबर हमलों के निशाने पर स्वास्थ्य सेवा और वित्त जैसे क्षेत्र सबसे अधिक होंगे.

डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (डीएससीआई) और सेक्राइट ने 'इंडिया साइबर थ्रेट रिपोर्ट 2025' में साइबर अपराधियों की नयी रणनीति और एआई आधारित हमलों को एक प्रमुख चिंता बताया.

रिपोर्ट में कहा गया, ''कृत्रिम मेधा (एआई) का इस्तेमाल बेहद शातिर ढंग से धोखाधड़ी के लिए किया जाएगा, जिनका पता लगाना कठिन होगा. इसमें ‘डीपफेक' तकनीक और व्यक्तिगत हमले शामिल हैं.''

रिपोर्ट के मुताबिक आपूर्ति श्रृंखलाओं में कमजोरियों के साथ एआई क्षमताओं के जुड़ने से नए तरह के साइबर खतरे पैदा होंगे. साइबर अपराधी जटिल हमलों को अंजाम देने के लिए एआई संचालित तरीकों को अपनाएंगे.

इसमें बताया गया कि उपकरणों की कमजोरियों का फायदा उठाकर हमले किए जाएंगे, जिससे विनिर्माण और स्वास्थ्य सेवा जैसे उद्योगों में जरूरी सेवाएं बाधित हो सकती हैं.

रिपोर्ट में कहा गया, ''भारत में स्वास्थ्य सेवा, वित्त और ऊर्जा सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा क्षेत्र साइबर अपराधियों के लिए मुख्य लक्ष्य बने रहेंगे. इन हमलों का मकसद सेवाओं को बाधित करना, संवेदनशील आंकड़े चुराना और भू-राजनीतिक तनावों का फायदा उठाना होगा.''

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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