बिना मिलावट वाले पेट्रोल और डीजल पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क बढ़ाने का फैसला टला

फिलहाल गन्ने या खाद्यान्न से निकाले गए इथेनॉल को पेट्रोल में 10 प्रतिशत के अनुपात में मिलाए जाने की मंजूरी मिली हुई है. सरकार का मानना है कि इससे आयात किए जाने वाले कच्चे तेल की जरूरत में कमी आएगी.

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नई दिल्ली:

सरकार ने मिलावट के बिना बिकने वाले पेट्रोल एवं डीजल पर दो रुपये प्रति लीटर की दर से अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लागू करने का फैसला क्रमशः एक महीने और छह महीने के लिए टाल दिया है. वित्त मंत्रालय ने जारी एक गजट अधिसूचना में कहा कि इथेनॉल की मिलावट के बगैर बिकने वाले पेट्रोल पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क अब एक नवंबर, 2022 से लागू होगा. वहीं बायो-डीजल के मिश्रण के बगैर बिकने वाले डीजल पर यह शुल्क अब एक अप्रैल, 2023 से लागू होगा.

सरकार पेट्रोलियम आयात में कटौती के लिए बिना मिश्रण वाले पेट्रोल एवं डीजल पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की तैयारी में है. लेकिन इस फैसले को लागू करने के लिए उद्योग समुदाय को अधिक समय देने की कवायद के तौर पर समयसीमा को आगे बढ़ाने का फैसला किया गया है.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022-23 के अपने बजट भाषण में क्रमश: इथेनॉल और बायो-डीजल के मिश्रण के बगैर बिकने वाले पेट्रोल और डीजल पर दो रुपये प्रति लीटर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाने की घोषणा की थी.

बिना मिश्रण वाले ईंधन पर यह अतिरिक्त उत्पाद शुल्क एक अक्टूबर 2022 से लागू होना था, लेकिन अब इसे आगे के लिए टाल दिया गया है. बिना मिश्रण वाले पेट्रोल पर यह शुल्क अब एक नवंबर से लागू होगा, जबकि डीजल पर यह शुल्क एक अप्रैल, 2023 से लगाया जाएगा.

फिलहाल गन्ने या खाद्यान्न से निकाले गए इथेनॉल को पेट्रोल में 10 प्रतिशत के अनुपात में मिलाए जाने की मंजूरी मिली हुई है. सरकार का मानना है कि इससे आयात किए जाने वाले कच्चे तेल की जरूरत में कमी आएगी और पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की भी स्थिति बनेगी.

वहीं देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले ईंधन डीजल में बायो-डीजल का मिश्रण प्रायोगिक तौर पर शुरू हुआ है. बायो-डीजल को गैर-खाद्य तिलहन से निकाला जाता है.

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